कहीं रात जानी है...


'हितैषी'January 19 कहीं रात जानी है, कहीं दिन खोने वाला है
कभी उजाला, कभी अँधेरा सोने वाला है
कब समाप्त होगी आपाधापी जीवन की?
यहाँ किसने जाना है क्या होने वाला है!
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'हितैषी'
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Published on May 11, 2013 12:12
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