जब कोई बच्चा पैदा होता है तो वह क्या किसी से डरता है? बिलकुल नहीं। केवल वह भूख या दर्द से रोता है। उसे तो रातदिन, सरदीगरमी, भूतप्रेत, डर इत्यादि का एहसास ही नहीं होता। सारे डर, भय, प्यार, स्नेह, दुलार, नाराजगी इत्यादि सब उस के मांबाप या परिवार की देन होती है।यही कार्य हमारे सभी धर्माचार्य करते हैं। आम व्यक्ति पर उस के भगवान के नाराज, नुकसान, हिंसा, दुराचार और जाने क्याक्या अनिश्चयता का डर व भय अपने भाषणों व प्रवचनों के द्वारा निरंतर अपने शिष्यों, चेलेचपाटों और चापलूसों के सहयोग से भक्तों पर थोपते हैं व दिमाग में बैठाते हैं। यानी भक्त को उपदेश देते हैं ‘समझ’ जो हम कह रहे हैं, नहीं तो उसे डराते हैं कि तेरा नाश अवश्य होगा या तेरे परिवार पर विपत्ति आएगी इत्यादिइत्यादि। सरल व साधारण सा भक्त इन ब