जानी-मानी कथाकार एवं 'समर लोक' साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका की संपादक। रचना-संसार आँखों की देहलीज, उसका घर, कोरजा, अकेला पलाश, समरांगण, पासंग (उपन्यास); आदम और हव्वा, उसका घर, गलत पुरुष, फाल्गुनी, अंतिम चढ़ाई, सोने का बेसर, अयोध्या से वापसी, ढहता कुतुबमीनार, रिश्ते, अम्माँ, समर, मेरी बस्तर की कहानियाँ तथा लाल गुलाब (कहानी-संग्रह)। पुरस्कार-सम्मान 'पद्मश्री', 'अखिल भारतीय महाराज वीरसिंह जूदेव', 'सुभद्राकुमारी चौहान', 'साहित्य भूषण सम्मान', 'भारतभूषण सम्मान' एवं 'रामेश्वर गुरु पुरस्कार'। लंबी कहानी 'जूठन' तथा 'सोने का बेसर' पर धारावाहिक प्रसारित। वेश्यावृत्ति जैसे सामाजिक अभिशाप पर टेलीफिल्म 'लाजो बिटिया' और स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित लोकप्रिय धारावाहिक 'वीरांगना रानी अवंतिबाई' का स्वयं निर्माण एवं निर्देशन किया। लंदन, फ्रांस, रूस आदि का भ्रमण कर कई सम्मेलनों में भाग लिया। साहित्य एवं समाज-सेवा में निरंतर सक्रिय। अंग्रेजी, उर्दू, मलयालम, पंजाबी, गुजराती, ओडि़या, मराठी आदि भाषाओं में कृतियाँ अनूदित। देश के विश्वविद्यालयों में इनके साहित्य पर पी-एच.डी.। सामाजिक समस्याओं पर कहानियाँ तथा साक्षात्कार दूरदर्शन एवं अन्य बहुआयामी माध्यमों से प्रसारित हुए हैं।