वाह, क्या डिजिटल इंडिया हुआ है। ऊँची पहुँच वाले महानुभाव न सिर्फ एक करोड़ का लोन उनसठ मिनट में ले सकते हैं, बल्कि उनसठ करोड़ का लोन लेकर एक मिनट में विदेश तक फरार हो सकते हैं।मेरे खयाल से हाथ मिलाने और हाथ जोड़ने की परम्परा का उद्भव और विकास उन भारतीय कारोबारियों ने किया है जिनका एकमात्र लक्ष्य बैंकों से उधार लेकर न चुकाना रहा है। उधार लेते वक्त हाथ मिलाया और चुकाने की बात आई तो हाथ जोड़ दिए।जिस तरह एक के बाद एक बैंक घोटाले उजागर हो रहे हैं और भुगतना जनसामान्य को पड़ रहा है, लगता है, भारतीय बैंकों का अब एक ही काम रह गया है—‘आम लोगों का जमा, खास लोगों को थमा’।...बैंकों के इसी ‘भरपाई-कर्म’ के तहत इन दिनों हमारा बैंक खाता भी क्या खूब खाता है। यदि कोई राहगीर किसी व्यक्ति से गन्तव्य का रास्ता पूछत