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Ek Tanashah Ki Premkatha

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यह कथा है—प्रेम में तानाशाही की। प्रेम की तानाशाही की भी और तानाशाहों के प्रेम की भी। प्रेम जो समर्पण से शुरू होता है। फिर धीरे-धीरे इसका पलड़ा किसी एक तरफ झुकने लगता है और तब शुरू होती है भूमिका ताक़त के प्रति हमारे अनन्य प्रेम की, जिसके सामने कोई प्रेम अर्थ नहीं रखता।

यह उपन्यास ऐसे तीन प्रेमियों की कथाओं से शुरू होता है, जिन्हें अब भी लगता है कि वे प्रेम कर रहे हैं, लेकिन दरअसल वे कर रहे हैं तानाशाही, कब्ज़ा और क्रूरता। सम्बन्ध उनके लिए एक दलदल बन चुका है, जिससे निकलने को उनकी वह रूह छटपटाती रहती है जिसने कभी सारी दुनिया को छोड़कर प्रेम का वरण किया था; लेकिन जब तक वे अपनी इस छटपटाहट को समझ पाते, एक चौथा प्रेमी कथा में प्रवेश करता है जिसे लगता है कि उससे बड़ा प्रेमी कोई है ही नहीं। यह देशप्

319 pages, Kindle Edition

Published May 17, 2024

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Gyan Chaturvedi

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