जीवन के निर्णायक मोड़ पर, जब दिशा को करियर और विवाह के बीच चुनाव करना है; तो वह दोनों सवालों को ताक पर रखकर, किसी सच्चे प्रेमी की तलाश में एक जुनूनी सफ़र पर निकल पड़ती है। उसकी तमन्नाओं के तार रहस्यमय रूप से कुछ चिट्ठियों से जुड़े हैं, जो दशकों पहले उसकी माँ को एक सहेली ने लिखे थे। क्या है इन पत्रों का सच? जिन्हें पढ़ते हुए दिशा पागलपन के कगार पर पहुँच जाती है? क्या दिशा उस प्रेम को पाने में सफल रहेगी, जिसकी चाह में दो आत्माएँ भटक रही हैं? या उसे ढूँढते हुए दिशा पुराने दर्द की छायाओं में डूब जाएगी?
समीक्षा : साँवला सितारा (उपन्यास) लेखिका : अनुमिता शर्मा प्रकाशक : अंजुमन प्रकाशन प्रथम संस्करण : 2025 कुल पृष्ठ : 187
प्रेम, जब सहजता से हमारी आँखों के सामने प्रस्तुत किया जाता है, तो वह दरअसल एक जटिल मानसिक प्रक्रिया से होकर गुजरता है, जिसमें भावनाओं का महासागर छिपा होता है। प्रेम का यह प्रेत, जो न केवल हमारे विचारों और इच्छाओं को बल्कि हमारे आत्मिक कोमल पक्ष को भी चूर-चूर कर देता है, यही वह शक्ति है जिसे हम पहचानने और समझने की चेष्टा करते हैं। अनुमिता शर्मा के उपन्यास "साँवला सितारा" की नायिका दिशा, इसी प्रेम के प्रेत के प्रभाव में अपने जीवन के विभिन्न मोड़ों पर जटिलताओं से गुजरती है। क्या वह अंततः प्रेम के इस प्रेत से मुक्त हो पाती है, या स्वयं उसी की छाया बनकर रह जाती है? इस रहस्य को जानने के लिए आपको उपन्यास का पाठन करना आवश्यक होगा।
कहानी की शुरुआत होती है दिशा के एक विवाह समारोह से, जहां उसे लोपा नामक एक पात्र के कुछ पुराने पत्र मिलते हैं। लोपा दिशा की माँ की बचपन की सहेली रही थी। इन पत्रों के माध्यम से दिशा का टूटा हुआ दिल और उसकी जीवन यात्रा में नए पात्र मानस का आगमन, इन सबको लेखक ने अत्यंत कुशलता से एक सूत्र में बांध दिया है। उपन्यास की कथावस्तु बाहर से जितनी सरल प्रतीत होती है, भीतर से उतनी ही गहरे और जटिल भावनात्मक संकुलों से भरी हुई है। चाहे वह मानस का संघर्ष हो या दिशा के आत्मिक द्वंद्व, दोनों के जीवन की उलझनों और उनकी आंतरिक पीड़ाओं को इतने सटीक तरीके से प्रस्तुत किया गया है कि पाठक को इनकी गहराई तक पहुंचने का अवसर मिलता है। यहाँ पर लेखक ने पाठक को इन पात्रों की मनोस्थिति को अपने अनुभवों से जोड़ने की पूरी स्वतंत्रता दी है, जो उपन्यास को और भी प्रभावशाली बनाता है।
लेखन शैली कुछ हद तक चुनौतीपूर्ण हो सकती है, किंतु एक बार जब आप इन पात्रों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं, तो यह पाठन एक गहरी संतुष्टि का अहसास कराता है। कुछ वाक्य संरचनाएँ अत्यंत प्रभावशाली हैं, वहीं कुछ स्थानों पर लेखक की शब्दावली थोड़ी सतही और नीरस प्रतीत होती है, विशेष रूप से उन हिस्सों में जब दिशा अन्य पात्रों से संवाद करती है। कहानी का समापन इस प्रकार से किया गया है कि वह पाठक के व्यक्तिगत विचारों पर निर्भर करता है। आप जिस दृष्टिकोण से अंत को समझेंगे, वही आपके लिए उसकी सार्थकता को परिभाषित करेगा।
मेरे दृष्टिकोण से, दिशा का पात्र लोपा से कहीं अधिक प्रासंगिक और प्रभावपूर्ण है, जबकि मानस के पात्र को और विस्तार से प्रस्तुत किया जा सकता था। अनुमिता शर्मा को उनके इस काव्यात्मक और भावनात्मक उपन्यास के लिए हार्दिक शुभकामनाएं। यदि आप कुछ नवीन, गहरे और दिलचस्प पढ़ने की इच्छा रखते हैं, तो "साँवला सितारा" निश्चित रूप से आपके लिए एक उपयुक्त विकल्प होगा।