अजय चंदेल का नया उपन्यास 'कोड आई' आधुनिक तकनीकी दुनिया और मानवीय संवेदनाओं के बीच की टकराहट को बेहद रोचक और रोमांचक ढंग से प्रस्तुत करता है। यह उपन्यास न केवल एक साइंस-फिक्शन थ्रिलर है, बल्कि हमारे समय की जटिलताओं और भविष्य की संभावनाओं की भी गहरी पड़ताल करता है। 'आई' यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के इर्द-गिर्द घूमती यह कथा हमारे अस्तित्व, निर्णय और मानवीय स्वतंत्रता से जुड़े मूलभूत प्रश्नों को उठाती है। चंदेल की लेखनी में तकनीक की भाषा और साहित्यिक संवेदना का सुंदर संतुलन देखने को मिलता है, जिससे पाठक कथानक के साथ बौद्धिक और भावनात्मक स्तर पर भी जुड़ता है। 'कोड आई' समकालीन हिंदी कथा साहित्य में एक नवीन और विचारोत्तेजक प्रयोग के रूप में सामने आता है।
अजय चंदेल द्वारा रचित कोड आई एक अत्यंत रोचक तथा विचारोत्तेजक उपन्यास है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे जटिल विषय को रहस्य और रोमांच के साथ प्रस्तुत करता है। यह कृति न केवल एक थ्रिलर है, बल्कि तकनीक और मानवीय नैतिकता के बीच के गहरे द्वंद्व को भी उजागर करती है।
पुस्तक का शीर्षक ‘कोड आई’ अपने आप में कई संभावनाओं से युक्त है। ‘आई’ शब्द को लेखक ने बहुअर्थक रूप में प्रयुक्त किया है – मराठी की 'आई' (माता), हिंदी की 'माई', अंग्रेज़ी की 'आई' (आंख) और तकनीकी दृष्टिकोण से ‘AI’ अर्थात कृत्रिम बुद्धिमत्ता। इन सभी अर्थों को लेखक ने कथानक में बड़े प्रभावशाली ढंग से समाहित किया है।
कहानी की शुरुआत एक रहस्यमय हत्या से होती है, जो धीरे-धीरे एक गूढ़ षड्यंत्र और आधुनिक तकनीकी प्रयोगों की ओर संकेत करती है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार तकनीक का अति प्रयोग मानवता के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है। "अति सर्वत्र वर्जयेत्" की उक्ति इस उपन्यास का मूल भाव प्रतीत होती है।
उल्लेखनीय है कि लेखक ने तकनीकी जटिलताओं को अत्यंत सरल भाषा में समझाया है, जिससे यह पुस्तक तकनीक में रुचि रखने वाले सामान्य पाठकों के लिए भी पूरी तरह से ग्राह्य बन जाती है। वैज्ञानिक तथ्यों और कल्पनाओं का संतुलन इस कृति को एक सशक्त विज्ञान-कथानक के रूप में स्थापित करता है।
कुल मिलाकर, कोड आई एक ऐसा उपन्यास है जो न केवल अंत तक पाठक की जिज्ञासा बनाए रखता है, बल्कि उसे आज के तकनीकी युग में विचारशील बनने की प्रेरणा भी देता है। यदि आप विज्ञान और रहस्य-रोमांच की सम्मिलित प्रस्तुति पढ़ना चाहते हैं, तो यह पुस्तक अवश्य पढ़ें।
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AI, Nostalgia, and Suspense: A Metro Ride Like Never Before
Having spent a lot of time in Delhi and commuting frequently by metro, I never thought a book could make me see that daily routine in such a different light. After reading this story, I’m sure the next time I step into a metro, I’ll feel a little more connected to the world it painted.
The story kicks off with an intense incident in the metro and follows Mohan as he gets drawn into a series of events that slowly unravel layer by layer, keeping things engaging throughout. Working in the IT industry myself, I found a lot of moments that felt familiar—almost like reading about colleagues or friends from the tech world.
What sets this book apart is how it handles AI. It’s not your typical sci-fi filled with robots and human battles, but more of a grounded, thought-provoking take on how we might realistically transition into an AI-driven future. The blend of nostalgia, emotional depth, and sharp observations about the tech world—especially the late '90s flashbacks—adds richness to the narrative.
I won’t give away the suspense, but I can say this: it’s definitely worth a read.