धरमवीर भारती की कहानियाँ पढ़ना इसलिए मुश्किल नहीं कि शब्दावली औपचारिक हो या भाषा रहस्यमय बल्कि इसलिए कि वे मानुष्यक हालत का निज क्लेश समझते हैं। वे अन्याय और असमानता देखकर तेज़ कथाएँ खींचते हैं जिनको हज़म करना मुश्किल है लेकिन जिनकी कल्पना करना आसान है। जब कोई भारती की कहानियों को पढ़ते हैं तो यक़ीनन वे तब से यह नहीं मानेंगे कि समाज में जो "नॉर्मल" माना जाता है वह न्यायी है। ये पढ़कर हमारी दुनिया पढ़नेवालों को ना-क़ाबिल-ए-बर्दाश्त होगी। अगर कोई जन इन कहानियों को पढ़कर रोते नहीं या शाक्यमुनि की तरह दुखी हो जाते नहीं वह जन इंसान नहीं हो सकते।