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नाराज़

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नाराज़ राहत इंदौरी राहत की पहचान के कई हवाले हैं - वो रंगों और रेखाओं के फनकार भी हैं, कॉलेज में साहित्य के उस्ताद भी, मक़बूल फिल्म के गीतकार भी हैंऔर हर दिल अज़ीज़ मशहूर शायर भी है I इन सबके साथ राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में इंसान की अंदरुनी और बाहरी कश्मकश के प्रत्यक्षदर्शी भी हैं I राहत की शख़्सियत के तमाम पहलू उनकी ग़ज़ल के संकेतों और प्रतीकों में छलकते हैं I उनकी शायरी की सामूहिक प्रकृति विद्रोही और व्यंगात्मक है, जो सहसा ही परिस्तिथियों का ग़ज़ल के द्वारा सर्वेक्षण और विश्लेषण भी है I

134 pages, Paperback

Published February 26, 2016

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About the author

Rahat Indori

20 books36 followers

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Community Reviews

5 stars
209 (47%)
4 stars
126 (28%)
3 stars
67 (15%)
2 stars
16 (3%)
1 star
19 (4%)
Displaying 1 - 30 of 41 reviews
Profile Image for Ankit Garg.
250 reviews406 followers
January 13, 2022
The discussion on Urdu poetry is incomplete without the mention of Dr Rahat Indori. He may not be with us anymore, but his work lives on. This short book is a collection of a few of his writings spread across a wide range of topics.
Profile Image for Gorab.
843 reviews153 followers
January 28, 2021
⭐⭐⭐½
Simplicity of thoughts presented via Urdu ghazals.
This is a collection of 90 ghazals spread across general topics of introspection, philosophy, life-death, love, friends and a lot more.
Loved a few of them very much. Sharing excerpts from what I liked most:

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ख़ाक से बढ़कर कोई दौलत नइ होती
छोटी मोटी बात पे हिज़रत नइ होती

पहले दीप जलें तो चर्चे होते थे
और अब शहर जलें तो हैरत नइ होती

रोटी की गोलाई नापा करता है
इसी लिए तो घर में बरकत नइ होती

हमने ही कुछ लिखना पढ़ना छोड़ दिया
वरना ग़ज़ल की इतनी किल्लत नइ होती
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अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए
कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए

सूरज से जंग जीतने निकले थे बेवक़ूफ़
सारे सिपाही मोम के थे घुल के आ गए

मस्जिद में दूर दूर कोई दूसरा न था
हम आज अपने आप से मिल-जुल के आ गए

नींदों से जंग होती रहेगी तमाम उम्र
आँखों में बंद ख़्वाब अगर खुल के आ गए
----------------------------------------
मैं उस मुहल्ले में एक उम्र काट आया हूँ
जहाँ पे घर नहीं मिलते, मकान मिलते हैं

बात आपस में जो ज़ोर-ज़ोर से करते हैं
सफ़र में ऐसे कई बेज़बान मिलते हैं

जहाँ-जहाँ भी चिराग़ों ने ख़ुदकुशी की है
वहाँ-वहाँ पे हवा के निशान मिलते हैं

रक़ीब, दोस्त, पड़ोसी, अज़ीज़, रिश्तेदार
मेरे ख़िलाफ़ सभी के बयान मिलते हैं
----------------------------------------
हमसे नाराज़ है एक सूरज कि पड़े सोते हो
जाग उठने की तमन्ना है बस यही काफ़ी है

अब ज़रूरी तो नहीं है कि वह फलदार भी हो
शाख से पेड़ का रिश्ता है यही काफ़ी है

गालियों से भी नवाज़े तो करम है उसका
वह मुझे याद तो करता है यही काफ़ी है

अब अगर कम भी जियें हम तो कोई रंज नहीं
हमको जीने का सलीक़ा है यही काफ़ी है

क्या ज़रूरी है कभी तुम से मुलाक़ात भी हो
तुमसे मिलने की तमन्ना है यही काफ़ी है

अब किसी और तमाशे की ज़रूरत क्या है
ये जो दुनिया का तमाशा है यही काफ़ी है
----------------------------------------
At the time of writing this review, this book is available in Kindle Unlimited. The Kindle edition helped with footnotes of difficult Urdu words.
You can also read online at - https://www.hindi-kavita.com/HindiNaa...
Recommended for anyone who wants to explore contemporary Shayaris.
Profile Image for Khyati Gautam.
885 reviews247 followers
August 18, 2019
A good book if you wish to soak yourself in some proper Urdu poetry ranging across diverse subjects.
Profile Image for Rohini Biswas.
52 reviews4 followers
March 25, 2022
शेर-ओ-शायरी की दुनिया में राहत इंदौरी साहब का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है.. उनका अंदाज़-ए-बयां, उनकी अदायगी, उनके शेर-ओ-अशार सबकी अपनी ही बात है... राहत साहब उन शायरों में से हैं, जिन्हें पढ़ने से ज़्यादा सुनने में मज़ा आता है..

'नाराज़' राहत साहब की ग़ज़लों का मजमुआ है जिसमे कुछ सुनी हुई और कुछ अनसुनी ग़ज़लें हैं... ग़ज़लों के शौक़ीन ज़रूर पढ़ें, और पढ़ चुकें हो, तो यूट्यूब पर राहत साहब को सुनें! और सुन भी चुकें हो तो इन दोनों कामों को ताउम्र दोहराते रहे!
Profile Image for Avdhesh Anand.
48 reviews82 followers
August 12, 2020
Bekar shayar hai ye! Mat padho iski kitaben. Isse achhi kavitayen hoti hain Hindi me aur kaviyon ki.
Profile Image for Ravi Prakash.
Author 57 books77 followers
May 23, 2019
कुछ ज्यादा ही Abstractness है इस संग्रह में या हो सकता है कि मुझे ही समझ मे न आ रहा हो। खैर जितना मजा राहत इंदौरी को सुनने आता है उतना तो मुझे इस किताब को पढ़कर नही आया। हाँ, बीच बीच में कुछ शेर बहुत ही अच्छे है।
Profile Image for Aadya Dubey.
289 reviews29 followers
February 27, 2017
A few lines in between are amazing, but overall, it's just poetry. Nothing that heart warming.
Profile Image for Amrendra.
344 reviews15 followers
April 14, 2024
दो मिसरों में जादू बिखर जाने का नाम शेर है और उन्हीं मिसरो को अल्हड़ तरतीब में जिंदगी बना देने का नाम राहत इंदौरी है। 1950 में जन्मे राहत साहब का साहित्य और कविता से पुराना वास्ता रहा है। उन्होंने फिल्मों के लिए मशहूर गीत भी लिखे और मुशायरों को अपने फन और जुनून से रोशन भी किया। अपने तजुर्बे को उन्होंने अपने कलाम में बखूबी इस्तेमाल किया है और इसी वजह से उनकी शायरी में मुहब्बत के साथ ही बगावत और साफगोई की झलक भी मिलती है। इस किताब में उनकी ऐसी ही 90 रचनाओं का संकलन है।

आंख में पानी रखो, होठों पे चिंगारी रखो
जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तों
दोस्ताना जिंदगी से, मौत से यारी रखो
ले तो आए शायरी बाजार में राहत मियां
क्या जरूरी है के लहजे को भी बाजारी रखो...
Profile Image for Akshunya.
65 reviews
September 20, 2020
शायरी की पहली किताब, जो शायद बहुत पहले पढ़ लेनी चाहिए थी। उर्दू सीखने की जरूरत और इच्छा, दोनों ही महसूस हुई। राहत साहब बहुत सरल लिखते हैं और कहीं कहीं पर उसी सरल अंदाज़ में बहुत गहरा भी लिख देते हैं, जैसे कि ये शेर:-

रोज़ वही एक कोशिश ज़िंदा रहने की,
मरने की भी कुछ तय्यारी किया करो

या फिर ये शेर:-

मैं जंग जीत चुका हूं मगर ये उलझन है
अब अपने आप से होगा मुकाबला मेरा

कुछ शेर तो हमारे आस पास की घटनाओं पर भी गहरा व्यंग करते हैं, जैसे कि बाबरी मस्जिद के टूटने पर लिखा गया ये शेर:-

टूट रही है हर दिन मुझ में एक मस्जिद
इस बस्ती में रोज़ दिसंबर आता है

और भी बहुत सारी उम्दा शायरी से भरपूर ' नाराज़ ', सभी हिंदी/उर्दू शायरी में दिलचस्पी रखने वालों को जरूर पढ़नी चाहिए।
Profile Image for Aishwary Mehta (The_Fugitive_Biker).
230 reviews30 followers
December 18, 2021
23rd book of 2021 (193 Books read overall)

Quote from the Book I Liked -
‘ख़ुदा दराज़ करे उम्र मेरे दुश्मन की,
कोई तो है जो मुझे याद करने वाला है।’
(Page no. 113)


Rating - 4.5 Stars

*Important take from the book* -
‘जाने कब सच का सामना हो जाए
कोई रास्ता निकाल रक्खा करो,

सुलह करते रहा करो हर पल
दुश्मनो को निढाल रक्ख करो,

ख़ाली ख़ाली उदास उदास आँखो
इन में कुछ ख़्वाब पाल रक्ख करो।’ (Page no. 100)


Plot Summary - नाराज़ राहत इंदौरी राहत की पहचान के कई हवाले हैं – वो रंगों और रेखाओं के फनकार भी हैं, कॉलेज में साहित्य के उस्ताद भी, मक़बूल फिल्म के गीतकार भी हैंऔर हर दिल अज़ीज़ मशहूर शायर भी है I इन सबके साथ राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में इंस��न की अंदरुनी और बाहरी कश्मकश के प्रत्यक्षदर्शी भी हैं I राहत की शख़्सियत के तमाम पहलू उनकी ग़ज़ल के संकेतों और प्रतीकों में छलकते हैं I उनकी शायरी की सामूहिक प्रकृति विद्रोही और व्यंगात्मक है, जो सहसा ही परिस्तिथियों का ग़ज़ल के द्वारा सर्वेक्षण और विश्लेषण भी है I

My Review - Rahat Indori is one of my favourite Urdu poets for being raw and direct in his poetry. I’ve read somewhere about the music that there were basically 2 types of music (or any type of art) written in accordance with the audience. One among them was for Special dignitaries called ‘Khas‘ and the other was for the ordinary people, who might not be learned enough to understand the depth and working of sincere art, that being called ‘aam‘. So, what I’m saying is that Rahat Indori Saab wrote his poetry which was more popular among the aam people listening around. Who can relate to the simplest of his Shayari in the simplest manner, without being too complicated to understand. Thus, was this book. Easy, relatable to day to day life events and consumable by as ordinary as any passerby. I loved reading this one and will for sure read more from the same author. Also, I’m from Indore and he too belong to Indore, therefore it makes me feel proud to belong to a city that incubated such a gem.

Conclusion - Beautiful, deep and intriguing.

Full Review on Blog.
Link to Blog - The Tales of Fugitive Biker
Profile Image for Saurabh Pandey.
168 reviews8 followers
December 7, 2020
This book is a collection of poetry by one of the most reputed Urdu poet of our time who recently left us and created the vacuum in the field of Urdu literature. The author has through his words tried to cover each and every event happening around us irrespective of the field and he connects all those mishappenings with all other couplets.
If you are a person who loves to read Urdu literature then this is your book which you should pick.
Profile Image for Prabin Dhungel.
256 reviews31 followers
February 19, 2024
[ नाराज -- राहत इन्दोरी]

संगीतमा राहत फतेह अलि खान र गीत- गजल - मुशायरा- कवितामा राहत इन्दोरी आफ्ना नाम चै आफ्ना श्रोता - दर्शक - पाठकहरुलाई  एक किसिमले राहत ( अनि अलिकता तनाउ) दिन खुब माहिर छन्। जीवन, मृत्यु, माया-प्रेम, दर्शन, यथार्थ, मित्रता, आदिबारेका काव्यिक रचना संग्रहित छन् यस किताबमा। उर्दुले बेलामौकामा के अर्थ होला भनेर गुगलमा खोज्न बाध्य गराउँछ तर अर्थ बुझेर रिपिट रीड हान्दा वा क्या बात् निस्किन्छ प्रशंसामा। राहत इन्दोरी गजप लेख्छन् , दिलले लेख्छन्, मुस्कान अनि अलिअली आँसु अनि अलिअलि कल्पना गरेर लेख्छन्। खैर; जे जस्तो तवरले लेख्ने काम गरे तापनि शब्द-जालमा पारेर मोहित पार्छन्।

मलाई मन परेका केही लाइनहरु यसै किताबबाट :-

- बे तलब आंखों में क्या-क्या कुछ है
वह समझता है इशारे तेरे

- मेरा इक पल भी मुझे मिल न सका
मैंने दिन रात गुज़ारे तेरे
तेरी आंखें तेरी बीनाई हैं
तेरे मन्ज़र हैं, नज़ारे तेरे
यह मेरी प्यास बता सकती है
क्यों समन्दर हुए खारे तेरे
जो भी मनसूब तेरे नाम से थे
मैंने सब क़र्ज़ उतारे तेरे

- जितने अपने थे सब पराए थे
हम हवा को गले लगाए थे
जितनी क़समें थी सब थीं शर्मिंदा
जितने वादे थे सर झुकाए थे
जितने आँसू थे सब थे बेगाने
जितने मेहमां थे बिन बुलाए थे
सब क़िताबें पढी पढ़ाई थीं
सारे क़िस्से सुने सुनाए थे
एक बंजर ज़मीं के सीने में
मैंने कुछ आसमां उगाए थे
वरना औक़ात क्या थी सायों की
धूप ने हौसले बढ़ाए थे
सिर्फ़ दो घूंट प्यास की ख़ातिर
उम्र भर धूप में नहाए थे

- सर पर सात आकाश , ज़मीं पर सात समन्दर बिखरे हैं
आंखें छोटी पड़ जाती हैं । इतने मंज़र बिखरे हैं
ज़िन्दा रहना खेल नहीं है । इस आबाद ख़राबे मैं
वह भी अक्सर टूट गया है हम भी अक्सर बिखरे हैं
इस बस्ती के लोगों से जब बातें की तो यह जाना
दुनिया भर को जोड़ने वाले अन्दर अन्दर बिखरे हैं
इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है
नींदें कमरों में जागीं हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे है

- सवाल घर नहीं बुनियाद पर उठाया है
हमारे पांव की मिट्‌टी ने सर उठाया है
हमेशा सर पे रही इक चट्‌टान रिश्तों की
यह बोझ वह है जिसे उम्र भर उठाया है

- पहली शर्त जुदाई है
इश्क़ बड़ा हरजाई है
गुम हैं होश हवाओं के
किस की ख़ुशबू आई है
ख़्वाब क़रीबी रिश्तेदार
लेकिन नींद पराई है
चांद तराशे सारी उमर
तब कुछ धूप कमाई है

- उंगलियां यूं न सब पर उठाया करो
ख़र्च करने से पहले कमाया करो
ज़िन्दगी क्या है ख़ुद ही समझ जाओगे
बारिशों में पतंगें उड़ाया करो

- हाथ खाली हैं तेरे शहर से जाते जाते
जान होती तो मेरी जान , लुटाते जाते
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते

- मुझ को रोने का सलीक़ा भी नही है शायद
लोग हंसते हैं मुझे देख के आते जाते
अब के मायूस हुआ यारों को रुख़सत करके
जा रहे थे तो कोई ज़ख़्म लगाते जाते
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते

- हौसले ज़िन्दगी के देखते हैं
चलिए कुछ रोज़ जी के देखते हैं
नींद पिछली सदी से ज़ख़्मी है
ख़वाब अगली सदी के देखते हैं

- बैठे बैठे कोई ख़याल आया
ज़िन्दा रहने का फिर सवाल आया
कौन दरयाओं का हिसाब रखे
नेकियां , नेकियों में डाल आया
ज़िन्दगी किस तरह गुज़ारते हैं
ज़िन्दगी भर न यह कमाल आया
झूठ बोला है कोई आईना
वरना पत्थर में कैसे बाल आया

- बुरे दिनों से बचाना मुझे मेरे मौला
क़रीबी दोस्त भी बच कर निकलने लगते हैं
अगर ख़याल भी आए कि तुझ को खत लिक्खूं
तो घोंसलों से कबूतर निकलने लगते हैं

- मैं आकर दुश्मनों में बस गया हूं
यहां हमदर्द हैं दो चार मेरे
हंसी में टाल देना था मुझे भी
खफ़ा क्यों हो गए सरकार मेरे

- ख़ुद को पत्थर सा बना रखा है कुछ लोगों ने
बोल सकते हैं मगर बात ही कब करते हैं
एक - एकपल को क़िताबों की तरह पढ़ने लगे
उम्र भरजो न किया हमने वह अब करते हैं

- ज़िन्दगी एक अधूरी तस्वीर
मौत आए तो मुकम्मल हो जाय

- फूलों को समझा दे कोई
हंसते रहना ठीक नहीं है

- जहां पे कुछ भी नहीं है वहां बहुत कुछ है
ये क़ायनात तो है खाली हाशिया मेरा

- ज़िन्दगी है एक सफ़र और ज़िन्दगी की राह में
ज़िन्दगी भी आये तो ठोकर लगानी चाहिये

- नींदें क्या-क्या ख़्वाब दिखाकर ग़ायब हैं
आंखें तो मौजूद हैं मंज़र ग़ायब हैं
2 reviews
April 9, 2020
Naraz Review - Damodar Rajvaish

Very well connecting couplets. Some of are simply relatable with common man on the other side some contains too deep meaning.

Since I read at Kindle - space was missing in between words of sentences - so was bit difficult to read and understand.

Overall - Good.
Profile Image for Asha Seth.
Author 2 books349 followers
May 26, 2023
Behad umda Sheroshayari

Is kitaab ko wo zaroor padhein jo nazm aur sheron mein dilchaspi rakhte hain. Narazzi in sheron mein aham vishay hai aur shilpkari mein bakhoobi nazar aata hai.
Profile Image for Rahul Patel.
9 reviews1 follower
June 1, 2017
this is the best poetry book I have ever read. the way he put words into his poetry will directly connect to your heart..his poetry is an inspiration for new poet.
Profile Image for Prahlad.
22 reviews26 followers
June 2, 2018
Its always a treat to read Rahat Indori, however having read "Mere baad" before this one i.e. "Naraz", found lot of overlap/repetition between the two. Hence 3 stars.
Profile Image for Junaid Sheikh.
78 reviews
October 27, 2019
Ek befikr shayar jo apni hi dhun me raheta hai jise kisi ki fikar nhi Rahat Indori saahab ❤
Profile Image for okaymon.
11 reviews2 followers
February 21, 2020
Kaafi halki shayari lagi. Famous videos of him have something good in them , not this book .
Profile Image for Amit Yadav.
1 review
Read
June 24, 2020
A good book if you wish to soak yourself in some proper Urdu poetry ranging across diverse subject
17 reviews1 follower
Read
October 23, 2020
जिओ तो ऐसे जिओ की लोग कहे वो मोहब्बत करने वाला जा रहा है

राहत इंदौरी ! नाम ही काफी है, पूरी कहानी समझने के लिए
वो शक्श सदियों तक जीने वाला है। पढ़िए जानिए उन्हें!👏👏
2 reviews
October 21, 2021
Its ok

It's okay some are very nice
Some are okay
Will read more from rahat sahab.. He is really great!
Thanks
Profile Image for Kapoor Sachin.
28 reviews
January 29, 2022
Good one. But not all nazams are as per the name of Rahat Sahab. But few of them are really awesome. It was OK kind of book.
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