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शेखर: एक जीवनी Part-2

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315 pages, Paperback

First published January 1, 1944

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About the author

जन्म : ७ मार्च १९११ को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के कुशीनगर नामक ऐतिहासिक स्थान में।

शिक्षा : प्रारंभिक शिक्षा–दीक्षा पिता की देख–रेख में घर पर ही संस्कृत‚ फारसी‚ अंग्रेजी और बँगला भाषा व साहित्य के अध्ययन के साथ। १९२५ में पंजाब से एंट्रेंस की परीक्षा पास की और उसके बाद मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में दाखिल हुए।वहाँ से विज्ञान में इंटर की पढ़ाई पूरी कर १९२७ में वे बी .एस .सी .करने के लिए लाहौर के फॉरमन कॉलेज के छात्र बने।१९२९ में बी .एस .सी . करने के बाद एम .ए .में उन्होंने अंग्रेजी विषय रखा‚ पर क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लेने के कारण पढ़ाई पूरी न हो सकी।

कार्यक्षेत्र : १९३० से १९३६ तक विभिन्न जेलों में कटे। १९३६–१९३७ में ‘सैनिक’ और ‘विशाल भारत’ नामक पत्रिकाओं का संपादन किया। १९४३ से १९४६ तक ब्रिटिश सेना में रहे‚ इसके बाद इलाहाबाद से ‘प्रतीक’ नामक पत्रिका निकाली और ऑल इंडिया रेडियो की नौकरी स्वीकार की। देश–विदेश की यात्राएं कीं। जिसमें उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से लेकर जोधपुर विश्वविद्यालय तक में अध्यापन का काम किया। दिल्ली लौटे और ‘दिनमान’ साप्ताहिक, ‘नवभारत टाइम्स’, अंग्रेजी पत्र ‘वाक्’ और ‘एवरीमैंस’ जैसी प्रसिद्ध पत्र पत्रिकाओं का संपादन किया। १९८० में उन्होंने ‘वत्सलनिधि’ नामक एक न्यास की स्थापना की‚ जिसका उद्देश्य साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में कार्य करना था। दिल्ली में ही ४ अप्रैल १९८७ में उनकी मृत्यु हुई।

१९६४ में ‘आँगन के पार द्वार’ पर उन्हें साहित्य अकादेमी का पुरस्कार प्राप्त हुआ और १९७९ में ‘कितनी नावों में कितनी बार’ पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार।

प्रमुख कृतियाँ –
कविता संग्रह : भग्नदूत, इत्यलम,हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्र धनु रौंदे हुए ये, अरी ओ करूणा प्रभामय, आँगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, सागर–मुद्रा‚ पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ‚ महावृक्ष के नीचे‚ नदी की बाँक पर छाया और ऐसा कोई घर आपने देखा है।
कहानी–संग्रह :विपथगा, परंपरा, कोठरी की बात, शरणार्थी, जयदोल, ये तेरे प्रतिरूप।
उपन्यास – शेखरः एक जीवनी, नदी के द्वीप, अपने अपने अजनबी।
यात्रा वृत्तांत – अरे यायावर रहेगा याद, एक बूंद सहसा उछली।
निबंधों संग्रह : सबरंग, त्रिशंकु, आत्मानेपद, आधुनिक साहित्यः एक आधुनिक परिदृश्य, आलवाल,
संस्मरण :स्मृति लेखा
डायरियां : भवंती‚ अंतरा और शाश्वती।

उनका लगभग समग्र काव्य ‘सदानीरा’ ह्यदो खंडहृ नाम से संकलित हुआ है तथा अन्यान्य विषयों पर लिखे गए सारे निबंध ‘केंद्र और परिधि’ नामक ग्रंथ में संकलित हुए हैं।

विभिन्न पत्र–पत्रिकाओं के संपादन के साथ–साथ ‘अज्ञेय’ ने ‘तार सप्तक’‚ ‘दूसरा सप्तक’‚ और ‘तीसरा सप्तक’ – जैसे युगांतरकारी काव्य–संकलनों का भी संपादन किया तथा ‘पुष्करिणी’ और ‘रूपांबरा’ जैसे काव्य–संकलनों का भी।

वे वत्सलनिधि से प्रकाशित आधा दर्जन निबंध–संग्रहों के भी संपादक हैं। निस्संदेह वे आधुनिक साहित्य के एक शलाका–पुरूष थे‚ जिसने हिंदी साहित्य में भारतेंदु के बाद एक दूसरे आधुनिक युग का प्रवर्तन किया।

Sachchidananda Hirananda Vatsyayana 'Agyeya' (सच्‍चिदानन्‍द हीरानन्‍द वात्‍स्‍यायन 'अज्ञेय'), popularly known by his pen-name Ajneya ("Beyond comprehension"), was a pioneer of modern trends not only in the realm of Hindi poetry, but also fiction, criticism and journalism. He was one of the most prominent exponents of the Nayi Kavita (New Poetry) and Prayog (Experiments) in Modern Hindi literature, edited the 'Saptaks', a literary series, and started Hindi newsweekly, Dinaman.

Agyeya also translated some of his own works, as well as works of some other Indian authors to English. A few books of world literature he translated into Hindi also.

Wikipedia entry

कविता कोश पता

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2 (1%)
1 star
1 (<1%)
Displaying 1 - 14 of 14 reviews
Profile Image for Ujjwala Singhania.
221 reviews69 followers
November 23, 2021
शेखर - एक जीवनी का दुसरा भाग शेखर कि कथा को आगे क्रमशः बढ़ाता है। शेखर का कॉलेज कि पढ़ाई कि ओर निराशावाद कि अवस्था।अपने जीवन के उद्देश्य के प्रश्न को हल करना।दस महीने जेल में भारत के तात्कालिक सत्य से परिचय। जेल में बाबा, मोहसिन और रामजी से जीवन को समझने का नया दृष्टिकोण।
जेल के दस महीने शेखर को स्वतंत्रता सेनानी के कार्यछेत्र कि ओर उन्मुख करते हैं।पर अंत तक पहुँच कर मैं शेखर के अंदर के विरोधाभास, उसकी निराशावाद, उसके विद्रोही चरित्र को तो समझि, पर ये ना समझ सकी कि क्या था उसके जीवन का उद्देश्य जिस पर उसे उत्सर्ग किया जा सके? समाज व्यवस्था में बदलाव? देश कि स्वतन्त्रता? क्या? जो भी कुछ उसने किया वो तो धारा के प्रवाह में बहने जैसा लगता है।
मैं शशि के पात्र पर बस यही कहूँगी कि वो शेखर कि बहन, उसका प्रेम, उसके जीवन को बांधे रखने वाली एक सूत्र, इन सबसे बढ़कर शशि शेखर कि प्रेरणा थी।परंतु इतना होकर भी शेखर के जीवन का क्या मूल्यांकन हो सकता है?
Profile Image for Deepak Saxena.
70 reviews
April 19, 2016
दुरूह भाषा, सार्थक कथानक, मौलिक लेखन
Profile Image for अभय  कुमार .
23 reviews3 followers
August 22, 2020
प्रेम, विश्वास, त्याग, वेदना,संवेदना, संघर्ष, शान्ति, गति और स्थिरता जैसे सुन्दर और मोहक भावों एवं स्थितियों में गूँथ कर बनाई गई एक माला है, यह उपन्यास।
Profile Image for Prince Mishra.
1 review
January 20, 2020
I always wanted to read this wonderful book, I known to any. I thank a lot to GOODREADS to make this book available for we good readers. Loves a lot!
This entire review has been hidden because of spoilers.
Profile Image for Amit Kumar.
24 reviews
February 16, 2024
"शेखर एक जीवनी" जो अज्ञेय जी ने तीन खंडों में कारावास के दौरान लिखा था लेकिन तीसरे खंड का जेल से रिलीज न होने के कारण से इसे दो ही खंडों में छापा गया। कुछ लोग इसे अज्ञेय की जीवनी बताते है जबकि अज्ञेय जी के अनुसार शेखर में मेरापन कुछ अधिक है लेकिन ये आत्मजीवनी नही है।

शेखर एक ऐसा लड़का है जो बचपन से हर चीज में एक सवाल खोज लेता है फिर वो भगवान(धर्म) को लेकर हो या फिर समाज को लेकर। जैसे हम क्यू भगवान की पूजा करते है, क्यू पड़ोस में रहने वाली लड़की(जो की शुद्र है) के साथ मैं खेल नही सकता या उसका दिया कुछ खा नही सकता। ऐसी ही कई सवाल है जो वो हमेशा पूछता रहता है।
उपन्यास के पहले खंड में शेखर के बचपन के जीवन का वर्णन है जहां उसके स्कूली जीवन तक का वर्णन मिलता है। वही पर दूसरे खंड में स्कूल के बाद का वर्णन है।
शेखर शुरू से ही विद्रोही होता है अपनी इन्ही आदतों की वजह से जहां वो कुछ गरीब बच्चो को फ्री में पढ़ाता है वही पर एक स्वयंसेवक संघ से जुड़कर 10 महीनो के लिए जेल भी चला जाता है जहां पर उसकी मुलाकात बाबा और मोहसिन से होती है जिनसे वह जीवन और मृत्यु, निराशा और आशा, सफलता और विफलता, प्रेम और घृणा, रचनात्मकता और आत्म-विनाश, व्यक्तिपरकता और निष्पक्षता जैसे विचारो पर सवाल करता है और पूरी पुस्तक में वह इन्ही विचारो से जूझता रहता है। उसकी मौसेरी बहन शशि का उसके जीवन पर बहुत गहरा पर पढ़ता है जिसका पति उसको शेखर से उसके रिश्ते के शक के चलते घर से निकाल देता है।
यह एक बहुत ही खूबसूरत उपन्यास है जो 1920 के आसपास के समय के बारे में बहुत अच्छी तरह से जानकारी देती है साथ ही हमे कुछ कठिन प्रश्नों का जवाब देने की भी कोशिश करती है।

यदि आपने इससे पहले अज्ञेय जी के "नदी के दीप" या "कसप" को पढ़ रखा है तो आप उनकी लेखनी से वाकिफ होंगे कि उनका उपन्यास ऐसे ही सीधे सीधे नही लिखा होता हर पृष्ट एक किताब जैसा लंबा लगता है लेकिन फिर भी आप उसे पढ़ना चाहते है।
"शेखर एक जीवनी" एक कमाल का उपन्यास है जिसे सभी हिंदी साहित्य में रुचि रखने वाले को पढ़ना चाहिए । मुझे पूरा विश्वास है कि इस किताब के बाद आप उनकी बाकी रचनाओं को भी जरूर पढ़ना चाहेंगे।

ऐसे ही किताबों से जुड़े जानकारी के लिए और उनकी समीक्षा के लिए आप इंस्टाग्राम पर मुझे @amitandbooks_ फॉलो जरूर करे।
Profile Image for Vidisha Chitravansh.
13 reviews
October 9, 2024
इस उपन्यास को पाठ्यक्रम में होने के कारण विवशता में पढ़ना शुरू किया था पर आज लगता है जैसे एक शेखर, हर व्यक्ति में कहीं न कहीं रहता है। हम अनजाने ही उसे पोषित करते हैं और स्वयं में उसे विकसित होने का अवसर भी देते है।

एक व्यक्ति और एक रिश्ता जो सामाजिक स्तर पर स्वीकार्य नहीं, उसे इतनी संवेदना और सहज रूप से सामने रख देना अज्ञेय ही कर सकते हैं। 

ये सोच कर भी हैरानी होती है कि आज से 80 वर्षों पूर्व लेखक एक आत्मघात के लिए प्रस्तुत व्यक्ति की मनोदशा इतनी सटीकता से चित्रित कर सकता है।

शेखर वो व्यक्ति नहीं है जिसे समाज सहजता से अंक में लेता है परंतु वह वो है जो समाज के उसके अनुसार न होने पर समाज को भी ठुकरा सकता है। ये साहस हर किसी में नहीं होता।


शेखर विलक्षण है और इस विलक्षणता को सहज शशि करती है। वो स्त्री जो स्वयं से ही इतनी संघर्षरत रहती है कि बाहर की दुनिया में वो एकदम शांत और जड़ प्रतीत होती है। शशि और शेखर दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं। न शेखर के अभाव में शशि संभव है न शशि के अभाव में शेखर।
Profile Image for Divya Pal.
601 reviews3 followers
November 13, 2022
Cannot really find what is so great about this incestuous book? What kept me engaged was the use of pure Hindi.
कठोर और कड़वा और चिरंतन नारी का अभिमान कि जो समाज उसका आदर नहीं करता, उसीके हाथों नष्ट-भ्रष्ट, छिन्न-त्रस्त-ध्वस्त होकर वह उसकी अवमानना करेगी... आशीर्वाद? क्या आर्शीवाद हो उस नारी को क्षुद्र पुरुष का? कि तू हुतात्मा हो, मेरी ज्वाला उज्जवल और सुगन्धित और निर्धूम हो! लज्जा क्षोभ और आत्मग्लानि से शेखर ने अपनी बंधी हुई छाती में मार ली
जल, ऊर्ध्वगे, जल यज्ञ-ज्वाला जल! उत्तप्त जल, उज्जवल और सुवासित जल, क्षार-हीन और निर्धूम और अक्षय जल! यह मुझ अभागे का आशीर्वाद हो!
भेड़ों की तरह झुण्ड बांधकर रहेंगे, तो भेद-चाल चलनी पड़ेगी। भेद-चाल का सभ्य नाम संस्कृति है।

8 reviews
June 13, 2025
एक पुस्तक जो एक जिज्ञासु मन, जो अछूत प्रेम और समाज में हो रही कुरीति और भी अनेक प्रकार की चीजों से लड़ रहा है और सदैब ही जान ने और सीखने को तत्पर, कई बार लड़ते लड़ते हार कर भी कोशिश नहीं बंद करता।
शेखर को परिभाषित करना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि वह सब कुछ है वह प्रेमी है, वह एक प्रेमी भाई है, वह एक अजीब पुत्र( अपने अजीब सवालों के कारण), वह एक पाठक है, वह एक कैदी है, वह एक क्रांतिकारी है, वह एक नौसिखिया है, वह एक पेंटर है, वह एक बहन की अटूट प्रेम है।
पढ़िए और जानिए शेखर को यह बहुत कुछ सिखाएंगे
Profile Image for Vipin Kumar.
35 reviews2 followers
April 3, 2023
शेखर एक जीवनी भाग 2

भाग 2 में 4 खंड है जिसमें शेखर के कॉलेज जीवन से लेकर उनकी व्यस्क होने तक के घटनाक्रमों का सजीव मनोवैज्ञानिक उतार-चढ़ाव से भरा हुआ चित्रण है
अपने समय काल की परिस्थितियों का भी जीवन दोनों करते हैं
9 reviews10 followers
July 24, 2023
This afternoon, I finished reading this book. My heart has found a new home in this. Maybe not everyone will appreciate the vulnerability, but maybe it is not for everyone either.
I have a feeling, tonight, I will hug this book to sleep.
Profile Image for Ashish.
38 reviews4 followers
January 1, 2023
Not reading this book would be a shame.
85 reviews
April 24, 2023
उत्तम

पुस्तक छायावादी है। एक सामान्य बालक से क्रांतिकारी युवक होने तक का ऊहा पोह चित्रित किया गया है जो अनूठा है।
Profile Image for Kumar Nitin.
10 reviews
April 1, 2025
शेखर एक जीवनी ,केवल जीवनी न होकर अज्ञेय द्वारा शेखर के रूप में रहकर लड़ा गया आदर्शवाद और यथार्थवाद के बीच का द्वंद्व है।
Displaying 1 - 14 of 14 reviews

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