इस किताब को पढने में दो महीने से ऊपर लगे. ये देरी मैंने जानबूझ कर की. मैं इसे जितने धीरे हो सके उतना धीरे पढना चाहता था. डायरी से काफी कुछ सीखा और कृष्ण जी की रचनाओं के प्रति उत्सुकता और भी ज्यादा हो गई है. इसके विषय में मेरे विस्तृत विचार इधर पढ़ सकते हैं: शाम'अ हर रंग में वैसे अगर आप साहित्य की इस विधा (डायरी लेखन) को पढने में रुचि रखते हैं तो इसे एक बार पढ़े. अगर कृष्ण बलदेव वैद जी की रचनाओं से वाकिफ हैं तो भी इसे पढ़े. मैंने इससे पहले उनका लिखा हुआ कुछ भी नहीं पढ़ा है लेकिन इस डायरी को पढने के बाद उनके काम के प्रति रुचि जागृत हुई है. तो अगर आप मेरे जैसे हैं तो भी इसे पढ़ सकते हैं.