क्षितिज सक्सेना गुनाहगार न होते हुए भी एक ऐसे जुर्म की सजा भुगत रहा था जो उसने किया ही नहीं था। रीमा भारती ने न केवल उसका केस लड़ा, वरन् उसे बाइज्जत बरी भी कराय, पर उसे भी लग रहा था कि कहीं कुछ गड़बड़ है! (स्रोत: किताब में मौजूद ब्लर्ब से)
2.5/5 आज मुर्दा नंबर 13 ख़त्म किया। रीमा भारती के पिछले उपन्यासों ने जहाँ निराश किया था वही इसने भरपूर मनोरंजन किया। उपन्यास में रोमांच और रहस्य दोनों है। कथानक का ज्यादातर हिस्सा तेज रफ्तार है जिससे उपन्यास पठनीय बन पढ़ा है। उपन्यास के विषय में मेरी पूरी राय आप निम्न लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं। मुर्दा नम्बर 13