वेद का शब्दिक अर्थ ‘ज्ञान’ या ‘जानना’ है। ये ऋषियों की निष्कपट, निश्छल भावना की अभिव्यक्ति है। इनमें कदम-कदम पर जीवन को सद्मार्ग पर प्रशस्त करने का आह्वान किया गया है। मीमांसक वेदों को अनादि मानते हैं, अर्थात् इनका कभी विनाश नहीं होता, ये ईश्वर-रचित हैं और हर युग में स्वतः प्रकट होते हैं। प्रसिद्ध गायत्री मंत्र ‘ओउम् भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्’ ऋग्वेद के तीसरे मंडल के अंतिम बासठवें सूक्त का दसवाँ मंत्र है। इसके रचनाकार ऋषि विश्वामित्र हैं। एक ओर जहाँ वेदों में ईश-भक्ति और अध्यात्म की महिमा गायी गई है, वहीं दूसरी ओर कर्म को ही कल्याण का मार्ग कहा गया है। वेदों में ऋग्वेद संसार का प्राचीनतम ग्रंथ है। इसमें दस हजार से अधिक मंत्र है&#