यू एस ए की पृष्ठभूमि पर लिखा गया रवीन्द्र कालिया का यह नवीनतम अप्रकाशित उपन्यास विशेषरूप से अभिव्यक्ति के पाठकों के लिये
ई मेल- विषय–फैमिली अफेयर "प्रिय प्रभु, शीनी तलाक लेने पर उतारू। तुम्हारी भाभी ने खाना पीना छोडा। घर में मातमी माहौल। प्रपन्नाचार्य (एस्ट्रोलाजर) को शीनी की जन्मपत्री दिखा कर उपचार पूछो। अलगरजी मत करना। तुम्हारा हरदयाल।''
हरदयाल ने कम्प्यूटर आफ किया और कोने में पडे दीवान पर ढेर हो गया। शीनी ने हमेशा उसे तनाव में रखा था। शादी की जिद ठानी थी, तब भी वह महीनों परेशान रहा था, पूरे परिवार का अमन चैन खत्म हो गया था और अब शादी के पचीस साल बाद यह नया शगूफा। दो जवान बेटियाँ हैं, वे क्या सोच रही होंगी। छह छह फीट के दो लड़के हैं, वे इस स्थिति का कैसे सामना करेंगे? शीनी के विवाह के अवसर पर उसने भारतीय संस्कृति और जीवन शैली को महिमा मंडित करते हुए दावा किया था कि हम भारतीय लोग विवाह को एक पवित्र बंधन मानते हैं।
हम इस सम्बंध को जन्म जन्मांतर तक निभाने का संकल्प लेते हैं। निक को हमने एक अत्यंत विनम्र, आज्ञाकारी और कर्तव्यनिष्ठ नवयुवक के रूप में जाना है। हमारा विश्वास है कि पूर्वजन्म में वह भी एक भारतीय आत्मा रहा होगा। हम उससे अपेक्षा रखते हैं कि वह हमारी फूल सी बिटिया को हमेशा फूलों की सेज पर रखेगा और उसके प्रति अपने प्रेम में लेशमात्र की कमी न आने देगा। हम दोनों के सुखद और सुदीर्घ दाम्पत्य की कामना करते हैं।
हिंदी साहित्य में रवींद्र कालिया की ख्याति उपन्यासकार, कहानीकार और संस्मरण लेखक के अलावा एक ऐसे बेहतरीन संपादक के रूप में है, जो मृतप्राय: पत्रिकाओं में भी जान फूंक देते हैं. रवींद्र कालिया हिंदी के उन गिने-चुने संपादकों में से एक हैं, जिन्हें पाठकों की नब्ज़ और बाज़ार का खेल दोनों का पता है. 11 नवम्बर, 1939 को जालंधर में जन्मे रवीन्द्र कालिया हाल ही में भारतीय_ज्ञानपीठ के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, उन्होंने ‘नया ज्ञानोदय’ के संपादन का दायित्व संभालते ही उसे हिंदी साहित्य की अनिवार्य पत्रिका बना दिया।
प्रकाशित कृतियाँ : कथा संग्रह- नौ साल छोटी पत्नी, गरीबी हटाओ, गली कूंचे, चकैया नीम, सत्ताइस साल की उमर तक, ज़रा सी रोशनी संस्मरण- स्मृतियों की जन्मपत्री, कामरेड मोनालिसा, सृजन के सहयात्री, गालिब छुटी शराब उपन्यास- खुदा सही सलामत है, ए.बी.सी.डी., 17 रानडे रोड व्यंग्य संग्रह- नींद क्यों रात भर नहीं आती, राग मिलावट माल कौंस कहानी संकलन- रवीन्द्र कालिया की कहानियाँ, दस प्रतिनिधि कहानियाँ, इक्कीस श्रेष्ठ कहानियाँ
पुरस्कार/सम्मान : उ.प्र. हिंदी संस्थान का प्रेमचंद स्मृति सम्मान, म.प्र. साहित्य अकादमी द्वारा पदुमलाल बक्शी सम्मान-2004, उ.प्र. हिंदी संस्थान द्वारा साहित्यभूषण सम्मान-2004, उ.प्र. हिंदी संस्थान द्वारा लोहिया सम्मान-2008, भारतीय ज्ञानपीठ में निदेशक।