सर्दी अभी पूरी तरह उतरी नहीं थी पहाड़ से। घर के आँगन में देर रात तक बैठा जा सकता था। मैं चारपाई पर बैठा था, अब ऐसा लग रहा है कि वो चारपाई नहीं कटहरा था और मैं बैठा नहीं, खड़ा था उस कटहरे में। मेरे इर्द-गिर्द बहुत से लोग बैठे थे शायद मेरे घर वाले थे या पड़ोसी-रिश्तेदार या मेरे कोई भी नहीं, मुझे ठीक से याद नहीं। मुझे सिर्फ़ मेरे ठीक सामने बैठी अपनी अम्मी याद है। इस बार जिसकी क़ब्र पर फातिहा पढ़ने भी नहीं आये थे मेरे इर्द-गिर्द बैठे कई लोग। शायद समय नहीं निकाल पाये होंगे अपनी व्यस्तताओं से। एक ने पूछा, ‘नौकरी क्यों छोड़ दी?’ दूसरा बोला, ‘बॉम्बे जायेगा।’ तीसरे ने चटखारा लेते हुए कहा, ‘गाने लिखेगा वहाँ जाकर आनन्द बख़्शी बनेगा।’ चौथा अपनी समझदारी दिखाते हुए बताने लगा, ‘गाने लिखके पेट नहीं भरता।’ पाँचवाँ कहने लगा, ‘गाना लिखना कोई काम होता है क्या?’ छठे ने कहा, ‘काम करने का मन हो तब तो काम के बारे में सोचे।’ सातवाँ उचकते हुए बोला, ‘जहाँ काम था वहाँ तो इसने नौकरी छोड़ दी।’ आठवें ने भी अपना मुँह खोलना ज़रूरी समझा, ‘वो भी हमें बिना बताये।’ नौवाँ कहता, ‘हम ही बोले जा रहे हैं उसे भी तो कुछ बोलने दो।’ दसवाँ फिर वही सवाल दोहराने लगा, ‘नौकरी क्यों छोड़ दी?’
यह गीतों के बनने के बिहाइंड द सीन दिखाने वाली किताब है. वो भी from the horse’s mouth और इसी मायने में ख़ास है. यह किताब अच्छे गीत बनाने की बोझिल और उबाऊ प्रक्रिया भी सामने रखती है. हालाँकि बहुत आशा लेकर किताब तक नहीं जाना चाहिए. सीमित चीजों पर ही बात होगी. ख़ासकर सिर्फ़ गीत बनने की प्रक्रिया पर, वह भी सिर्फ़ बोल. म्यूज़िक भी नहीं. वैसे भी म्यूज़िक बनने की प्रक्रिया को किताब में दिखा पाना दुष्कर है.
इस बे-उम्मीदें दौर की मैं आख़िरी उम्मीद हूँ ये सतर इक सच्चाई है कोई न पढ़े तो न सही - इरशाद कामिल
इस किताब के बाद आपको पता चलेगा कि हर गीत के पीछे एक कहानी होती है. उस कहानी में अनेक कविताएँ होती हैं. इरशाद ने इस किताब में गीतों, कविताओं, कहानियों और किस्सों को गूंथकर बहुत रोचक अंदाज़ में लिखा है. "काली औरत का ख़्वाब" में आपको अनेक गीत मिलेंगे जो सिर्फ इरशाद के पन्नों तक ही सीमित रह गए.
This book will give you a brief of how the Indian film industry treats its writers and insights into song making business. This book is brutally honest about its genre and it reflects the hard work a lyricist put into a particular song and how it gets trimmed, raped, and insulted by people who don't know anything about writing.
ये किताब उन गीतों की कहानियाँ कहती है जो ना जाने हमने कितने ही बार सुने होंगे । एक लेखक की सोच, उसका तरीक़ा और एक गाने के पीछे के वो कई किससे जिससे हम और आप वाक़िफ़ ही नहीं है । अत्यंत सुंदर एवं नवीन अनुभव था ।
I’ve read multiple books about lyric writing this year but Irshad Kamil’s work remains the best one. His lyrics truly have been of the songs that I hold closest to my heart and have grown up with. Every one, each single one has a soul that cannot be replicated. His command over the language is commendable. I also love reading a book written in Hindi which is something I haven’t done a lot, a mistake I’m trying to rectify with each passing day. But this was a lovely book, and I have absolutely no notes for this. I hope one day we get to read about the songs of Rockstar.