कुछ दूर चलने के बाद लड्डू को जंगल झाड़ियों के बीच से एक झरने की झलक दिखाई देने लगी। वह वहीं रुककर देखने लगा। उसने नड्डू की ओर देखते हुए कहा कि भाई वो देखो थोड़ी दूर में पानी का झरना है। चलो जाकर पानी पी लेते हैं फिर आगे नानी के घर जाएंगे। वे जंगल झाड़ियों के बीच से होकर उस झरने की ओर नड्डू के साथ चलने लगा। “यार नड्डू जब हम इसे रास्ते से देख रहे थे तो बहुत करीब लग रहा था, लेकिन अभी भी बहुत दूर है, थोड़ा और चलना पड़ेगा!“ - नड्डू की ओर देखकर लड्डू ने कहा। थोड़ी देर बाद उन्हें वह झरना मिल ही गई, दोनों ने ऊपर से गिरते हुये साफ पानी को पीकर अपनी तृप्ति शांत की। पानी पी लेने के बाद वे दोनों वहीं आराम करने के लिए बैठ गए। तेज धूप से बचने के लिए वे पेड़ से टिककर नीचे बैठे थे। उनको थकान इतनी ज्यादा लग रही थी कि वहीं नींद आ गई&