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Narendra Modi Hone Ka Arth

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नरेंद्र मोदी होने का अर्थ व्यक्तिपरक नहीं बल्कि प्रतीकात्मक ज्यादा है। वे एक व्यक्ति न रहकर प्रतीक बन गए हैं। लेकिन किस चीज के प्रतीक? भारतीयता और राष्ट्रवादी शक्तियों की सामूहिक आकांक्षा के प्रतीक। एक ऐसी आकांक्षा जो भारत को पिछलग्गू नहीं, बल्कि विश्व राजनीति में सक्रिय भूमिका निभानेवाले देश के रूप में देखना चाहती है। यह आकांक्षा वर्तमान के साथ-साथ चलते हुए भारत के मूल स्वरूप और परंपरा की रक्षा करने की भी है। भारत, भारत रहते हुए विश्व में अपना सम्मानजनक स्थान प्राप्त चाहता है। लेकिन विश्व की राजनीति इतनी टेढ़ी है कि शीत युद्ध के अंत के बाद भी नए बने समीकरण भारत को वह स्थान देना नहीं चाहते। सच बात तो यह है कि अब तक की सरकारों में इसकी इच्छा ही नहीं थी। नरेंद्र मोदी ने आम भारतीय के अवचेतन में सुप्त इस इच्छा को जाग्रत् किया है। भारत जाग गया है। जाहिर है भारत के जागने से देश-विदेश की उन शक्तियों के चेहरे की रेखाएँ गहरी हो रही हैं, जो भारत की अवधारणा को नकार कर उसकी पश्चिमी पहचान बनाने के काम में लगी हुई हैं। वे शक्तियाँ हर हालत में नरेंद्र मोदी को अपदस्थ करना चाहती हैं। उन्हीं शक्तियों और उनके षड्यंत्रों को इस पुस्तक में बेनकाब करने का उद्यम किया गया है।

272 pages, Hardcover

Published March 25, 2021

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