“क्या हम सिर्फ़ मज़बूत लोगों की लड़ाई लड़ रहे हैं? कमज़ोरों के हक की लड़ाई में कमज़ोरों के लिए कोई जगह नहीं? (इस पुस्तक की एक कहानी, ‘और कितने यौवन चाहिए ययाति?’ में से) ये पंक्तियाँ सिर्फ़ इस कहानी की पंक्तियाँ नहीं हैं। ये अशोक कुमार पाण्डेय की कहानियों की समूल चिंता है। संग्रह की सारी कहानियाँ आदर्श, थ्योरी और ज़मीनी वास्तविकता के विरोधाभास से मुठभेड़ करती हैं। एक पर्यवेक्षक की तरह लेखक अपनी कहानी में घटने वाली परिस्थितियों को दर्ज करते जाते हैं मुस्तैदी से। ज़ाहिर है फिर उन परिस्थितियों के बरअक्स सवाल भी उठ खड़े होते हैं, पैने और नुकीले! और सपनीली आशाओं से भरे भी। न्याय और हक की पुकार से लबरेज़ ये कहानियाँ अपने समय और समाज पर एक करारी टिप्पणी करती हैं। इस टिप्पणी को गौर से देखने और समझने की ज़रूरत है।’’ -वंदना राग
Ashok is a well known hindi poet and writer. With "Kashmirnama : Itihas aur Samkal" and "Kashmir aur Kashmiri Pandits" he has emerged as an expert of Kashmir's history and present.