किताब के बारे मेंयह कोई किताब नहीं है, वरन एक यात्रा है और मैं इस यात्रा का साक्षी भर हूँ। प्रेम कितना मोहक, सम्मोहक और मादक होता है.. उसके विभिन्न पड़ावों से गुजरते हुए मैंने यह जाना है। 'मन पतंग दिल डोर' को लिखते हुए मैंने महसूस किया है कि मोहब्बत का कोई मौसम नहीं होता। वो जब हो जाए वही उसका मौसम हो जाता है। यौवन जब आता है तो अनेक मधुर एहसास लिए आता है.. उन एहसासों को शब्द मैंने नहीं दिए हैं बल्कि उन्होंने खुद अपने लिए शब्द चुने हैं। हाँ इतना ज़रूर है कि जब वो आए तो पूरे वेग में मैंने उन्हें आने दिया.. मैं कवि के रूप में बाधक नहीं बना। आप जब इस यात्रा से गुज़रेंगे (पुस्तक पढ़ेंगे) तो कृपा कर अपने को रोकना मत... बह जाना इसके साथ...आपको भी उसी रूमानियत और पाकीजगी का एहसास होगा, जैसा मुझे हुआ है। यह पत
परितोष जी ने वाकई बहुत अच्छी पंक्तियों का संग्रह प्रकाशित किया हैं। खास कर वो आखिरी कविता, जो जीवन में ज़िंदा रहने के अबतक के समय में क्रियाओं के बारे में बतलाते हैं। उनकी कविताओं में सबको कुछ न कुछ मिलेगा ही। जैसे मुझे उसमें इश्क़ की थोड़ी बहुत छींटे दिखाई दी और दिखाई क्यों भी ना दे, आखिरकार इतने अच्छे से सजा के जो लिखा है। किताब की शुरुवात ही मिठास से हुई हैं तो आप बाकी का अंदाज़ा लगा सकते हैं। कई बार तो पाठकों को खुद कलम उठने की भी इच्छा उत्त्पन करवा दे। वाकई बहुत खूब लिखा हैं।
This book is a collection of poems with simplest words and deepest meaning. It gives you immense pleasure, you can feel the words of each poem! The book starts with sweetness, so you can guess the rest. At times, it may even make the readers feel like picking up the pen themselves. It's really very well written... The book includes most parts of life explained in poetry. I finished this book in one day, it is only 112 pages long! In this book my favourite poems are - '60 saal ki bacchi' ; 'kya-kya likhu' ; 'shehar jawan ho raha' ; 'hum- tum' ; 'wo Nadi hai' ; n many more! This is an amazing book specially for the ones who've just begun reading Hindi poems! Must recommended!