अभिनेत्री सोनाली सिंह राजपूत ने पांच सालों बाद दिल्ली में कदम क्या रखा हंगामा बरप गया। बंगले में घुसते ही गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई। पुलिस और मीडिया दोनों को शक था कि सोनाली का कत्ल उसके चाचा उदय सिंह राजपूत ने किया है, क्योंकि पांच साल पहले उसने भतीजी को खुलेआम जान से मारने की धमकी दी थी। लिहाजा कहानी परत दर परत उलझती जा रही थी। एक तरफ इंस्पेक्टर गरिमा देशपांडे कातिल की तलाश में जी जान से जुटी हुई थी तो वहीं दूसरी तरफ भारतन्यूज की इंवेस्टिगेशन टीम पुलिस से पहले हत्यारे का पता लगाने के लिए दृढसंकल्प थी। जबकि कातिल था कि एक के बाद एक लाशें बिछाता जा रहा था।
आज के वक्त में मीडिया की इतनी ईमानदारी देख कर सुखद अनुभव हुआ। भले ही वो चंद वक्त के लिए एक किताब में ही सीमित क्यों ना थी। मेरे खुद के एक क्राइम पत्रकार होने के वजह से मुझे हर पल ऐसा लगता रहा की काश ऐसी कोई टीम सच में होती और में उसका हिस्सा बन पाती। पत्रकार और पुलिस की दोस्ती बहुत ही दुर्लभ है जो बहुत ही अच्छी लगी। हालांकि पता नही क्यों मुझे इस बार पहले से पता महसूस हो रहा था की कातिल वही है पर शायद कुछ नया होने की उम्मीद में अपनी सोच पर कायम नही रह पाई । इस किताब में कत्ल से ज्यादा इस बात को महत्व दिया बताया जा रहा था कि हमारी जनता कैसी पत्रकारिता के सपने देखती है। इतनी सारी बाते एक साथ आने की वजह से अंत तक कातिल के लिए इतने नाम उभर के आते जा रहे थे कि किसी एक पर केंद्र बनाए रखना मुश्किल था। आपकी लेखनी की तो बात ही क्या है। सचमुच ही एक स्पेशल प्रोग्राम बना के रख दिया किताब को। मजा आया पढ़ कर। - रेचिल जैन ।