कालजयी महाकाव्य महाभारतका अभिनंदन पंचम वेदकहकर किया जाता रहा है । इस बृहद् ग्रंथ के संबंध में मान्यता रही है कि जो महाभारत में नहीं है,वह कहीं नहीं है ।इसमें संदेह नहीं कि महाभारत की विराट कथावस्तु में भारतीय जनजीवन का समग्र चित्र उपलब्ध है । उसके हर अंग का स्पर्श करनेवाली अनेकश: मर्मवेधी घटनाओं का समावेश है । बृहद् सामाजिक परिवेश तथा जनजीवन की स्थूल भौतिक स्थितियों के साथसाथ अध्यात्म एवं ज्ञान की उच्चतम स्थापनाओं से संपन्न यह महाग्रंथ भारतीय संस्कृति का विश्वकोश माना जाता है । इसकी आधारभूत संकल्पनाएं ही वर्तमान भारतीय सभ्यता एवं समाज की आधारभूमि रही हैं । स्वभावत: इस महाकाव्य की समर्थ नारियां हमारी संस्कृति के लिएविशेषकर भारतीय स्त्री के लिएदीपस्तंभ की ज्योति की भांति युगों से दिशानिर्देश करती रही हैं । यद्यपि देवकी प्रत्यक्षत: महाभारत की कथावस्तु से जुड़ी नहीं थीं,किंतु मथुरा के वृष्णि योद्धा वसुदेव की पत्नी होने के साथ ही अपने लोकनायक पुत्र वासुदेव कृष्ण के संदर्भ में वह समग्र परिवेश पर छाई रहीं । उनका पुत्र वासुदेव कृष्ण देवकीनंदन कृष्णकहलाने में गौरव अनुभव करता है । यह वही कृष्ण है जो अतिरथी योद्धा थायुगांतकारी नीतिज्ञ था और युगद्रष्टा ऋषियों की भांति ज्ञान के क्षेत्र में गीता का गायक था । उसके जन्म से पूर्व देवकी को अपने ही भाई क्रूर कंस के कारागार में भयानक यातनाएं सहनी पड़ीं । उनके सातसात पुत्रों की हत्या कर दी गई । आठवें पुत्र कृष्ण को रातोंरात दूर गोकुल के नंद के यहां पहुंचाकर उसकी रक्षा की गई,जिसका पालन स्नेहमयी माता यशोदा ने किया । वर्षों तक पुत्र के बिछोह से तड़पती देवकी का उद्धार अंत में कृष्ण ने अपने अनाचारी मातुल कंस का वध करके किया