नमस्कार, मैं हर्ष रंजन अपनी रचनाओं के संसार में आपका स्वागत करता हूँ। मेरी कलम मेरे लिए मेरी आवाज, मेरे सपने, मेरी सच्चाई, मेरी गलतियां, मेरा हथियार और मेरे लिए दुनिया की सबसे पहली टाइम मशीन है। इन वाक्यों में मैं की जगह आप होंगे अगर आप इन किताबों के साथ कुछ कदम एक साथ चलने के लिए तैयार हैं। मेरी किताब न तो सर्कस है, न तो आपका ध्यान और आपके यत्न खींचने के लिए कोई व्यूह, न तो ये सत्संग हैं। ये एक बसा हुआ शहर है जहाँ हर एक अनुच्छेद एक गली है और हर शब्द एक मकान। हर एक कविता, हर कहानी अपने आप में एक संसार है। मैं आपको दिल की एक बात बताना चाहूंगा। मैंने हिंदी को उसकी शुरुआत और हिंदी के साहित्य को उसकी शुरुआत से जाना है। ये सफर बहुत रोचक है। कई प्रतिभा आयी और हिंदी को कुछ कदम और आगे बढ़ा गईं। मैंने अपने शब्दों का, अपनी शैली का आविष्कार नहीं किया, मैंने एक परंपरा को एक अनुज की तरह आगे बढ़ाया है। साहित्य के वर्णित विषय और साहित्य की शैली पुरानी हो सकती है पर समय का चक्र उन्हें फिर से उभार लाता है। किताबें पढ़ें और अपने विचार जरूर बताएं। आभार