“बुद्धि का कुछ प्रतिशत ही इस्तेमाल कर पाते हैं। जैसे-जैसे विचार कम होते जाते हैं, बुद्धि की शक्ति बढ़ने लगती है। और यह काम भीतर बाहर दोनों प्रकार से मौन रहने से सम्भव होता है। लेकिन हम भीतर से मौन रह ही नहीं पाते। मन की आदत हो जाती है हर वक्त कुछ-न-कुछ बुदबुदाने की। हम इसे विचार का चलना समझते हैं। जबकि यह विचार नहीं होता। यहाँ तीन चीजों को अलग-अलग जानें—1. बुद्धि, 2. विचार, 3. भाषा। विचार बहुत ही सूक्ष्म क्रिया है। किसी माइक्रो चिप की तरह! विचार को तो हम भीतर-ही-भीतर बस जान लेते हैं। और जब हमें उस विचार को किसी के समक्ष व्यक्त करना होता है, तब हम भाषा का सहारा लेकर उसे व्यक्त करते हैं। एक विचार को व्यक्त करने में किसी भाषा के हजारों शब्द लग सकते हैं। इसे समझने के लिए आप एक प्रयोग कर सकते हैं। कभी जब मन में बहुत विचार उठ रहें हों, तो आप उसे लिखना शुरू कर दें या आप एकांत में हों, तो उसे बोलना शुरू कर दें। जो विचार उठे, उसे लिखने लगें या बोलने लगें। आप यह देखकर हैरान हो जाएँगे कि आपके ऐसा करते ही विचार ग़ायब होने लगेंगे।”
― Man Ki Shakti: Chetana Ke Saat Star Ka Adhyatmik Rahasya
― Man Ki Shakti: Chetana Ke Saat Star Ka Adhyatmik Rahasya
“साधारण कार्य : ऐसे कार्य जो पूर्णतः ऐच्छिक हैं— व्यर्थ की डाक, ई-मेल आदि, व्यर्थ के टेलीफोन, फैक्स आदि, व्यर्थ के अप्रत्याशित व्यवधान आदि, मनोरंजन, टेलीविजन, वीडियो आदि, घर-बाहर की अतिरिक्त साफ-सफाई आदि, सामाजिक कार्य, मित्रगण एवं रिश्तेदार आदि, अचानक मिलने वाले मित्र व अन्य व्यक्ति आदि। उपर्युक्त सामान्य वर्गीकरण के अनुसार आपको अपने समस्त कार्यों का निश्चित वर्गीकरण करना आवश्यक होगा। इस प्रकार वर्गीकरण करते समय निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण बातें ध्यान में रखना अति आवश्यक हैं— 1. आप दिन भर काम करके क्या-क्या लक्ष्य प्राप्त करना चाहते हैं? 2. कौन से विशिष्ट लक्ष्य प्राप्त करके आप पूर्ण संतोष अनुभव करेंगे?”
― TIME MANAGEMENT: Mastering the Art of Time Management
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Pranav’s 2024 Year in Books
Take a look at Pranav’s Year in Books, including some fun facts about their reading.
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