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“क्यों बेमतलब किसी से
बाद में कोई गिला रखना
ये बेहतर है कि पहले से ही
थोड़ा फ़ासला रखना... !!”
― Baat Jazbaat Ki
बाद में कोई गिला रखना
ये बेहतर है कि पहले से ही
थोड़ा फ़ासला रखना... !!”
― Baat Jazbaat Ki
“कितना कमज़ोर है अपना यक़ीन अपने पर
ज़रा सवाल उठे और दरकने लगता है
अपना खुद से भी है रिश्ता भला बेशर्त कहाँ
जो बदले रोशनी साया सरकने लगता है... !!”
― Baat Jazbaat Ki
ज़रा सवाल उठे और दरकने लगता है
अपना खुद से भी है रिश्ता भला बेशर्त कहाँ
जो बदले रोशनी साया सरकने लगता है... !!”
― Baat Jazbaat Ki
“मन तो दिन-रात बेचैन रहने की वजह ढूंढता रहेगा, शांत रहने की वजह तो आपको ही ढूंढनी पड़ेगी.”
―
―
“वो गया और साथ अपने मेरी हस्ती ले गया
एक घर खाली हुआ और सारी बस्ती ले गया...
जाने कैसा साल था बस इक बरस के दरम्याँ
सारी हिकमत दे गया और सारी मस्ती ले गया... !!”
― Baat Jazbaat Ki
एक घर खाली हुआ और सारी बस्ती ले गया...
जाने कैसा साल था बस इक बरस के दरम्याँ
सारी हिकमत दे गया और सारी मस्ती ले गया... !!”
― Baat Jazbaat Ki
“सभी कुछ है मगर इक फांस सी
चुभती है क्यों फिर भी
वो क्या है जो नहीं भरता
वो क्या है जो अधूरा है.
ये कैसी ख़ोज है जो ख़त्म
होकर भी नहीं होती
ये कैसी प्यास है जो
दिन-ब-दिन बढ़ती ही जाती है... !!”
― Baat Jazbaat Ki
चुभती है क्यों फिर भी
वो क्या है जो नहीं भरता
वो क्या है जो अधूरा है.
ये कैसी ख़ोज है जो ख़त्म
होकर भी नहीं होती
ये कैसी प्यास है जो
दिन-ब-दिन बढ़ती ही जाती है... !!”
― Baat Jazbaat Ki
“रोज़ कतरों में मरा करते हैं
रोज़ टुकड़ो में जिया करते हैं
उस पे जतलाते हैं जैसे जी कर
कोई एहसान किया करते हैं... !!”
― Baat Jazbaat Ki
रोज़ टुकड़ो में जिया करते हैं
उस पे जतलाते हैं जैसे जी कर
कोई एहसान किया करते हैं... !!”
― Baat Jazbaat Ki
“मैं बड़ा तो उसी दिन हुआ पापा जिस दिन आपने कहा था 'तू बता क्या सही रहेगा?'...!”
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