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Adarsh Rathor Adarsh Rathor > Quotes

 

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“दिल के विराने पन्ने पर मैंनें संजोया है एक तस्वीर भरा रंग प्यार का उस तस्वीर में नाम दिया मैंने उसे तकदीर कब खुलेगी किस्मत उस तकदीर की आँखों से बह रहें जल - नीर बहते-बहते आया रागनी का एक झोंका झोंके ने किया सवाल ? है भरा कौन सा रंग तकदीरे तस्वीर में मैं ने कहा मेरी सोच, मेरा प्यार, मेरी आशिकी झोंके ने कहा कब खुलेगी तेरी क़िस्मत कब मिलेगी तुझे तकदीर? बेवजह ही बहाये आँसू बेवजह ही बहाये नीर मैंनें कहा झोंके से क्या है पता तुझे पता यार का दिलदार का प्यार का क्या लिया हैं तुने मजा कभी आँखें चार का दिल ए इख्तयार का रौनके बहार का है मुझे यकीं अपने क़िस्मते तकदीर पर मिलेगी इक दिन वो मुझसे यकीने इख्तयार है अपने रंगो पे जीस दिन वो मिलेगी मेरे रंगो से ज़्यादा रंग होगे उसके प्यार के एतबार के जाँ निसार के मेरे यार के”
Adarsh Rathor, एहसासों के पन्ने ( Ehsaason Ke Panne ): काव्य संग्रह
“आज फिर से उनकी याद आई भूलने की थी कोशिश पर आँखें रोई आँखों से बरसात आई आती हैं न जाने क्यों वो याद इतना हैं रस्तें अलग अलग हम दोनों के आज फिर से उन साथ चलने वाले रास्तों की याद आई भूलने की थी कोशिश पर न जाने क्यों ऐसा लगा वो साथ चलने रास्तों पर फिर से मेरे साथ आई आज फिर से उनकी याद आई मुक्मल खुश थे अपने अपने मंजिलो को बदल के हम दोनों उस पल, उस लम्हें, उस समय ना जाने क्यों यें खुशी रास आई भूलने की थी कोशिश पर न जाने क्यों उन मंजिलो की झलक दिखी और उसके बुलाने की आवाज़ आई आँख रोई आँख से बरसात आई आज फिर से उनकी याद आई”
Adarsh Rathor, एहसासों के पन्ने ( Ehsaason Ke Panne ): काव्य संग्रह
“रात की सन्नाटों को चिरता चिल्लाता हुआ तेरी यादों का कारवां मेरी तरफ बढ़ रहा हैं तेरी याद को मेरी रात का साथ बड़ा भाता हैं बहुत सी बातें करते हैं तेरी यादें मेरी रातें तेरी याद केअलाव मैं अपनी सर्द रात में लगभग पूरी रात तापता हूँ मेरी तन्हाईयों का गम तेरी याद ही तो काटती हैं अक्सरहां रात तन्हाईयों को बुला कर मुझे उनके आगोश में धकेल देती हैं पर तेरी यादों का पल मुस्कराते हुआ हाथ बढ़ाता हैं और खिंच लाता हैं आगोश से तन्हाईयों के तन्हाईयों को खुद पर हावी होने से रोकने की कोशिशें बहुत करता हूँ पर बगैर तुम्हारें लड़ाई हार सी गया हूँ मुझे हैं भरोसा किसी दिन तुम आवोगी और खिंच कर ले जाओगी उजालो की तरफ़ उस दिन भोर होगा मेरा”
Adarsh Rathor, एहसासों के पन्ने ( Ehsaason Ke Panne ): काव्य संग्रह
“बहूत दिनों बाद हुई थी मुलाकात तुमसे इतनी जल्दी मे थी की हो न पाई बात तुमसे गई कह कर की जल्दी आ रही हूँ कट गई वही कम्बख़त बैठे रात हमसे नज़र में इंतज़ार की समा जल रही थी दिल को ऐतबार था तुम पर पलके बिछा बैठा रस्ता तक थक गये नयन तु फिर भी ना आई करने बात हमसे”
Adarsh Rathor, एहसासों के पन्ने ( Ehsaason Ke Panne ): काव्य संग्रह

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