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Start by following Pushpindra Chagti Bhandari.
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“बेवजह ही ;
कभी जब तुम याद आते हो तो
आँख पोंछ कर कहकहे लगाती हूँ ....
तुम्हारी पसंद का रंग पहनती हूँ ।।”
― Wo Lamha
कभी जब तुम याद आते हो तो
आँख पोंछ कर कहकहे लगाती हूँ ....
तुम्हारी पसंद का रंग पहनती हूँ ।।”
― Wo Lamha
“काश कभी ऐसा हो जाये
भीगा मन हो
और मैं टांग दूँ अलगनी पर
तुम सुबह की धूप बन कर
मेरे आँगन आ जाओ ।।”
― Wo Lamha
भीगा मन हो
और मैं टांग दूँ अलगनी पर
तुम सुबह की धूप बन कर
मेरे आँगन आ जाओ ।।”
― Wo Lamha
“बेवजह ही ;
हथेली में चाँद रख लेती हूँ ....
रात से झगड़ा कर लेती हूँ,
ख़्वाबों को वापिस भेज देती हूँ ।।”
― Wo Lamha
हथेली में चाँद रख लेती हूँ ....
रात से झगड़ा कर लेती हूँ,
ख़्वाबों को वापिस भेज देती हूँ ।।”
― Wo Lamha
“उसकी तरफ पीठ कर के
बैठ गयी मैं, अपनी चाय लेकर ।।
फ़ोन में मैसेंजर पर
दिल भेज दिया उसने ....
और
ज़रा सी मुस्कान आ गयी
मेरी नम आँखों में ।।”
― Wo Lamha
बैठ गयी मैं, अपनी चाय लेकर ।।
फ़ोन में मैसेंजर पर
दिल भेज दिया उसने ....
और
ज़रा सी मुस्कान आ गयी
मेरी नम आँखों में ।।”
― Wo Lamha
“बेवजह ही ;
किसी दिन चाय के दो कप बनाती हूँ ....
Balcony में खड़े हो कर
दूर तक तुम को तलाशती हूँ ।।”
― Wo Lamha
किसी दिन चाय के दो कप बनाती हूँ ....
Balcony में खड़े हो कर
दूर तक तुम को तलाशती हूँ ।।”
― Wo Lamha

