Yogi Anand Ji
“ध्यानवस्था की अनुभूतियाँ, स्थूल संसार की तरह क्षणिक मात्र नहीं होती हैं बल्कि चैतन्यमय होती हैं, इसलिए ऐसी अनुभूतियाँ सदैव याद रहती हैं। ऐसा लगता है यह अनुभूति अभी-अभी हुई है, चाहे मैने वर्षों पहले वह अनुभूति की हो, ध्यानावस्था में आये अनुभवों की यही खासियत होती है।”
― Yog Kaise Karen: Ek Yogi Ke Anubhav
― Yog Kaise Karen: Ek Yogi Ke Anubhav
“भक्त हमसे बहुत महान व श्रेष्ठ होते है क्योंकि उन्हें क्रोध नहीं आता है तथा अहंकार से रहित होते है। भक्ति अत्यन्त कठिन मार्ग है, मगर योग का अभ्यास करने के लिए दृढ़ता आवश्यक है। दृढ़ता में कठोरता व रूखापन होता है। हमने यह भी देखा है जो साधक रूखे होते हैं उनकी साधना अच्छी होती है। ऐसे साधकों के अन्दर दृढ़ता बहुत होती है, जिस कार्य में उनकी लगन लग जाये वह कार्य करके ही छोड़ते हैं। कठिन कार्यों से वे विचलित नहीं होते हैं। ऐसे साधकों का मस्तिष्क अधिक क्रियाशील रहता है, मगर भक्ति भाव वाला साधक तर्क-वितर्क ज्यादा नहीं करता है क्योंकि वह भावना प्रधान होता है।”
― Yog Kaise Karen: Ek Yogi Ke Anubhav
― Yog Kaise Karen: Ek Yogi Ke Anubhav
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