YOGI ADITYANATH
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HathYog: Swaroop Evam Sadhna
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Hathyoga : Swaroop evam Sadhna
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RAJYOGA: SWAROOP EVAM SADHNA
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published
2019
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2 editions
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My idea of Nation First: Redefining Unalloyed Nationalism
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“समान—वह वायु, जिसके माध्यम से सभी प्रकार की प्राण शक्तियों का संचालन एवं नियोजन होता है वह समान ‘वायु’ कहलाती है। यह वायु यकृत, आँत, क्लोम, जठराग्नि व पेट में रसस्राव को प्रेरित एवं नियंत्रित करती हैं। यह हृदय तथा परिभ्रमण संस्थान को भी क्रियाशील रखती है और इसका स्थान शरीर में छाती व नाभि का मध्यवर्ती प्रदेश है।”
― HathYog: Swaroop Evam Sadhna
― HathYog: Swaroop Evam Sadhna
“2. चिन्मुद्रा—ध्यान के किसी भी आसन में बैठकर दोनों घुटनों पर दोनों हथेलियों को ऊपर की ओर रखें अथवा नाभि के कुछ नीचे बाएँ हथेली पर दाईं को रखें। यही ‘चिन्मुद्रा’ है।”
― HathYog: Swaroop Evam Sadhna
― HathYog: Swaroop Evam Sadhna
“जब नाड़ी शोधन प्राणायाम की तृतीय स्थिति सध जाए, तब उसी मुद्रा में पूरक, अंतःकुंभक, रेचक तथा बाह्य कुंभक का अनुपात 1:4:2:2 में अभ्यास करें, जितनी आवृत्ति बढ़ा सकें, सहज रूप से बढ़ाएँ।”
― HathYog: Swaroop Evam Sadhna
― HathYog: Swaroop Evam Sadhna
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