“नमस्कार।
क्या आपने सोचा है कि हमारी असली मंजिल क्या है और वो कितनी दूर है?
वो है - अपने ऋण-अनुबंध, कौल-करार पूरे करते हुए, कर्तव्यों का पालन करते हुए - बोध प्राप्त करना, परमात्मा को अपने भीतर महसूस करना और पूर्णता को प्राप्त करना। और पहला कदम है – खुद को पहला कदम उठाने के लिये राजी करना। मंज़िल कोई भी क्यों न हो बस एक कदम की दूरी पर ही है।
कुदरती कानून है की जैसे जैसे हम पाखण्ड और क्षुद्रता को छोड़ते जाते हैं तथा अपने चिन्तन, चरित्र और प्रयासों को ऊँचा उठाते चले जाते हैं, वैसे वैसे मंज़िल पास आती चली जाती है। इसीलिये हर कदम सूझ-बूझ कर सही दिशा में उठाना और हर पल होश से जीना प्रार्थना है।
प्रभु से प्रार्थना है कि आपको उनका अनुग्रह और उनके अनुग्रह से मंज़िल जल्द ही प्राप्त हो जाये। मंगल शुभकामनाएं।
श्री रामाय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।”
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