“शुभ रविवार।
सज्जनता, श्रेष्ठता और देवत्व – ये गुण किसी भी प्रशिक्षण या उपदेश से परे हैं। यदि ये स्वभाव में विद्यमान हैं तो स्वतः प्रकट होते हैं, अन्यथा नहीं।
दूसरी बात ये की – अपनी जात यानि मूल स्वभाव… धर्म मतलब सहज कर्म… ये दोनों किसी को दिखाने - बताने की बात नही है.. आचरण से, व्यवहार से और दैनिक कार्यों से प्रकट हो ही जाते हैं।
इसीलिए अपने दैनिक कर्मों, भावों, आचरण और विचारों की समीक्षा करना प्रार्थना है। स्वयं को निरन्तर खंगालना, अपनी गलतियों को सहजता से स्वीकार करना, उनसे सीखकर खुद को बदलने के लिए सच मे प्रयास करना प्रार्थना है।
प्रभु से प्रार्थना है कि आपकी वाणी और व्यवहार से मीठा रस बरसता रहे तथा आप उनके द्वारा निर्देशित मार्ग पर चलते हुए नित नई ऊंचाइयों को छुएं। मंगल शुभकामनाएं।
श्री राम दूताय नमः। ॐ हं हनुमते नमः।”
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