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  • #1
    Marcus Tullius Cicero
    “A room without books is like a body without a soul.”
    Marcus Tullius Cicero

  • #2
    Ramdhari Singh 'Dinkar'
    “दो न्याय अगर तो आधा दो,

    पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
    तो दे दो केवल पाँच ग्राम,

    रक्खो अपनी धरती तमाम।
    हम वहीं खुशी से खायेंगे,

    परिजन पर असि न उठायेंगे!


    दुर्योधन वह भी दे ना सका,

    आशिष समाज की ले न सका,
    उलटे, हरि को बाँधने चला,

    जो था असाध्य, साधने चला।
    जन नाश मनुज पर छाता है,

    पहले विवेक मर जाता है।


    हरि ने भीषण हुंकार किया,

    अपना स्वरूप-विस्तार किया,
    डगमग-डगमग दिग्गज डोले,

    भगवान् कुपित होकर बोले-
    'जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,

    हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।


    यह देख, गगन मुझमें लय है,

    यह देख, पवन मुझमें लय है,
    मुझमें विलीन झंकार सकल,

    मुझमें लय है संसार सकल।
    अमरत्व फूलता है मुझमें,

    संहार झूलता है मुझमें।”
    Ramdhari Singh Dinkar, रश्मिरथी



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