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पसंदीदा हिंदी पुस्तकें

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विकास 'अंजान' (vikas_nainwal) | 30 comments Mod
अक्सर हम ऐसी किताबों से रूबरू होते हैं कि उनको पढने के बाद हमारा मन करता है कि उस पुस्तक के विषय में अपने मित्रों, जानकारों सबको बताये। ऐसी पुस्तकें हमारे मन को छू जाती हैं और हम चाहते हैं कि जो अनुभव हमे उन पुस्तकों को पढ़ते हुए हुआ है उसका अनुभव दूसरे लोग भी करें। तो ऐसी कौन सी हिंदी पुस्तकें है जिनके विषय में आपके मन में ऐसे विचार आतें हैं। यहाँ आप ऐसी पुस्तकों को सूचीबद्ध तरीके से साझा कर सकते हैं। पुस्तक के विषय में कुछ लिखना तो वो भी लिख सकते हैं कि मसलन आपको इस पुस्तक में क्या अलग लगा और क्यों आपको यह पुस्तक पसन्द आई।


विकास 'अंजान' (vikas_nainwal) | 30 comments Mod
विकास नैनवाल

१) गोदान
गोदान में न केवल गाँव के जीवन का सटीक वर्णन है परन्तु होरी के बेटे गोबर के शहर के अनुभव भी ऐसे हैं जिनसे कई लोग अपने को जुड़ा हुआ पाते हैं। शहर और ग्राम्य जीवन का सुन्दर चित्रण किया गया है। इसे पढ़कर ही मैं जान पाया कि इसे जो ख्याति मिली है वो अकारण नहीं मिली है।
2. वह भी कोई देस है महाराज
अक्सर यात्रा संस्मरणों की बात आती थी तो मेरे मन में खाली ये विचार आता था कि इसमें हम पर्यटकों की तरह किसी जगह की खूबसूरत चीजों को विवरण पाते हैं। मैं इन्हें पढता था ताकि अगर मुझे किसी स्थान पर जाना हो तो मैं जान सकूँ कि किन जगहों पर मुझे जाना चाहिए और कैसी परेशानियों का सामना मैं कर सकता हूँ। हाँ, यह बात मैं साफ़ करना चाहूँगा की मैंने हिंदी में केवल यात्रा ब्लॉग ही पढ़े थे। लेकिन वह भी कोई देस है महाराज अलग अनुभव साबित हुआ। उत्तर पूर्वी राज्यों को जब भी मैंने देखा एक खूबसूरत पर्यटक स्थल के रूप में देखा। वैसे मैं उत्तराखंड का हूँ तो पहाड़ी मेरे लिये इलाका नहीं है लेकिन फिर उत्तर पूर्वी राज्य का नाम सुनते ही हमे वहाँ के खूबसूरत नज़ारे याद आते हैं। इस पुस्तक को लेने का मेरा कारण यही था लेकिन जब मैंने इसे पढ़ा तो जाना अनिल यादव जी का ये यात्रा संस्मरण एक नए दृष्टिकोण से आपको उत्तर पूर्वी इलाकों में घुमाता है। आप बाहरी व्यक्ति की तरह नहीं घुमते अपितु इस खूबसूरती के नीचे छुपे उत्तर पूर्व से परिचित होते हैं।
मैने अभी तक काफी कम पढ़ा है लेकिन मैं चाहूँगा कि इस पुस्तक को जितने लोग पढ़ सकते हैं पढ़ें।
3. लाल पसीना - अभिमन्यु अनत
जहाँ हिंदी भाषी क्षेत्र में ही लोग हिंदी में बात करने और उसे लिखने में आनाकानी करते हैं वहीं जब मुझे पता चला कि मॉरिशस एक लेखक अभिमन्यु जी हिंदी में ही लिखते हैं तो मेरा उनकी कृतियों के प्रति जिज्ञासित होना लाजमी था। मैंने पढ़ा और एक संघर्ष गाथा से रूबरू हुआ। अंग्रेजी शाशन में कई पूर्वांचल वासियों को मॉरिशस लेकर जाया जाता था। उनसे कहा तो जाता था कि उधर धन मिलेगा लेकिन वहाँ पहुँचते ही उन्हें बंधुआ मजदूर बना दिया जाता था। यही लोग गिरमिटिये कहलाये जाते थे। यह पुस्तक उन्ही की संघर्ष गाथा है। उपन्यास मार्मिक है और कई जगह जो यातनाएं उन्हें सहनी पड़ी थी उसे पढ़कर मन विचलित हो जाता है।

मैं इधर ही सूची को अपडेट करता रहूँगा।


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