सजन मुरारका

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“बहुत उलझ गया -‘जिन्दगी ‘तेरी शतरंज की चाल में
कह भी नहीं सकता अब यह खेल खत्म कर दे

सजन”
Sajan Murarka

“सिर्फ़ इबादत से कोई नहीं पा जाता जन्नत
हज़ारों मिलेगें यहाँ दफ़न मज़ारों में फक़त

सजन”
Sajan Murarka
tags: shyari

“आईने से बड़कर न कोई हमदर्द मेरा
कभी हंसा नहीं,देख रोता हुआ चहेरा

सजन”
Sajan Murarka

“यों दोस्तों की महफ़िल में जो खुलकर हँसा है
शायद अन्दर ही अन्दर उसके ज़ख़्म बहुत गहरा है

सजन”
Sajan Murarka

“कहीं तुम्हें शिकायत न हो की हम अगर साथ साथ होते
इसी हसरत में तन्हा रह गए इंतिज़ार करते करते
सजन”
Sajan Murarka
tags: humor

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