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“मैंने कोई विज्ञापन ऐसा नहीं देखा जिसमें पुरुष स्त्री से कह रहा हो कि यह साड़ी या यह स्नो खरीद लो । अपनी चीज वह खुद पसन्द करती है, मगर पुरुष की सिगरेट से लेकर टायर तक में दखल देती”
― निठल्ले की डायरी
― निठल्ले की डायरी
“भरत ने कहा - स्मगलिंग तो अनैतिक है। पर स्मगल किए हुए सामान से अपना या अपने भाई-भतीजे का फायदा होता है, तो यह काम नैतिक हो जाता है। जाओ हनुमान, ले जाओ दवा।
मुंशी से कहा - रजिस्टर का पन्ना फाड़ दो।”
― विकलांग श्रद्धा का दौर
मुंशी से कहा - रजिस्टर का पन्ना फाड़ दो।”
― विकलांग श्रद्धा का दौर
“आम भारतीय जो गरीबी में, गरीबी की रेखा पर, गरीबी की रेखा के नीचे हैं, वह इसलिए जी रहा है कि उसे विभिन्न रंगों की सरकारों के वादों पर भरोसा नहीं है। भरोसा हो जाये तो वह खुशी से मर जाये। यह आदमी अविश्वास, निराशा और साथ ही जिजीविषा खाकर जीता है।”
― आवारा भीड़ के खतरे [Awara Bheed Ke Khatare]
― आवारा भीड़ के खतरे [Awara Bheed Ke Khatare]
“बड़े कठोर आदमी है। शादी -ब्याह नहीं किया। न बाल - बच्चे। घूस भी नहीं चलेगी।”
― विकलांग श्रद्धा का दौर
― विकलांग श्रद्धा का दौर
“आत्मविश्वास धन का होता है, विद्या का भी और बल का भी, पर सबसे बड़ा आत्मविश्वास नासमझी का होता है ।”
― निठल्ले की डायरी
― निठल्ले की डायरी
Drajaytikaria2010gmail.com’s 2024 Year in Books
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