Sanjog Singh tomar

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“मैंने महसूस किया है कि लगभग सभी के दाम्पत्य जीवन में जो गलती करता है और उसे एहसास भी है कि मैंने गलती की है, परन्तु झूठे अभिमान के कारण उसे स्वीकार नहीं कर, अपनी आनंद पूर्ण गृहस्थ जीवन में कलह का बीज बोता चलता है और ता-उम्र उस नफ़रत रुपी बरगद की छाँव में जीने को मजबूर होता है। भारत में तो सदियों से दैवीय चमत्कार के कारण, एक दाम्पत्य जीवन में एक गर्म स्वभाव वाला और दूसरा नर्म स्वभाव वाला होने के कारण जिंदगी चलती रहती है। मतभेद होने के बावजूद और न चाहते हुए भी एक साथ जीवन व्यतीत करते हैं।
-उपन्यास 'एक नदी चार किनारे”
Rakesh Kumar Srivastava 'Rahi'

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