Vaibhav Gupta
https://www.goodreads.com/vaigupta
“चाँदनी की पाँच परतें,
हर परत अज्ञात है ।
एक जल में,
एक थल में,
एक नीलाकाश में ।
एक आँखों में तुम्हारे झिलमिलाती,
एक मेरे बन रहे विश्वास में ।
क्या कहूँ , कैसे कहूँ.....
कितनी जरा सी बात है ।
चाँदनी की पाँच परतें, हर परत अज्ञात है ।
एक जो मैं आज हूँ ,
एक जो मैं हो न पाया,
एक जो मैं हो न पाऊँगा कभी भी,
एक जो होने नहीं दोगी मुझे तुम,
एक जिसकी है हमारे बीच यह अभिशप्त छाया ।
क्यों सहूँ ,कब तक सहूँ....
कितना कठिन आघात है ।
चाँदनी की पाँच परतें, हर परत अज्ञात है ।”
―
हर परत अज्ञात है ।
एक जल में,
एक थल में,
एक नीलाकाश में ।
एक आँखों में तुम्हारे झिलमिलाती,
एक मेरे बन रहे विश्वास में ।
क्या कहूँ , कैसे कहूँ.....
कितनी जरा सी बात है ।
चाँदनी की पाँच परतें, हर परत अज्ञात है ।
एक जो मैं आज हूँ ,
एक जो मैं हो न पाया,
एक जो मैं हो न पाऊँगा कभी भी,
एक जो होने नहीं दोगी मुझे तुम,
एक जिसकी है हमारे बीच यह अभिशप्त छाया ।
क्यों सहूँ ,कब तक सहूँ....
कितना कठिन आघात है ।
चाँदनी की पाँच परतें, हर परत अज्ञात है ।”
―
“यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
स्मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खंडहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्व की संपत्ति चाहूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
क्या हार में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्यर्थ त्यागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्तव्य पथ से किंतु भागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।”
―
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
स्मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खंडहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्व की संपत्ति चाहूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
क्या हार में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्यर्थ त्यागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।
चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्तव्य पथ से किंतु भागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।”
―
“चिडि़या को लाख समझाओ
कि पिंजड़े के बाहर
धरती बहुत बड़ी है, निर्मम है,
वहाँ हवा में उन्हें
अपने जिस्म की गंध तक नहीं मिलेगी।
यूँ तो बाहर समुद्र है, नदी है, झरना है,
पर पानी के लिए भटकना है,
यहाँ कटोरी में भरा जल गटकना है।
बाहर दाने का टोटा है,
यहाँ चुग्गा मोटा है।
बाहर बहेलिए का डर है,
यहाँ निर्द्वंद्व कंठ-स्वर है।
फिर भी चिडि़या
मुक्ति का गाना गाएगी,
मारे जाने की आशंका से भरे होने पर भी,
पिंजरे में जितना अंग निकल सकेगा, निकालेगी,
हरसूँ ज़ोर लगाएगी
और पिंजड़ा टूट जाने या खुल जाने पर उड़ जाएगी।”
― प्रतिनिधि कविताएँ
कि पिंजड़े के बाहर
धरती बहुत बड़ी है, निर्मम है,
वहाँ हवा में उन्हें
अपने जिस्म की गंध तक नहीं मिलेगी।
यूँ तो बाहर समुद्र है, नदी है, झरना है,
पर पानी के लिए भटकना है,
यहाँ कटोरी में भरा जल गटकना है।
बाहर दाने का टोटा है,
यहाँ चुग्गा मोटा है।
बाहर बहेलिए का डर है,
यहाँ निर्द्वंद्व कंठ-स्वर है।
फिर भी चिडि़या
मुक्ति का गाना गाएगी,
मारे जाने की आशंका से भरे होने पर भी,
पिंजरे में जितना अंग निकल सकेगा, निकालेगी,
हरसूँ ज़ोर लगाएगी
और पिंजड़ा टूट जाने या खुल जाने पर उड़ जाएगी।”
― प्रतिनिधि कविताएँ
“When I take you to the Valley, you’ll see the blue hills on the left and the blue hills on the right, the rainbow and the vineyards under the rainbow late in the rainy season, and maybe you’ll say, “There it is, that’s it!” But I’ll say. “A little farther.” We’ll go on, I hope, and you’ll see the roofs of the little towns and the hillsides yellow with wild oats, a buzzard soaring and a woman singing by the shadows of a creek in the dry season, and maybe you’ll say, “Let’s stop here, this is it!” But I’ll say, “A little farther yet.” We’ll go on, and you’ll hear the quail calling on the mountain by the springs of the river, and looking back you’ll see the river running downward through the wild hills behind, below, and you’ll say, “Isn’t that the Valley?” And all I will be able to say is “Drink this water of the spring, rest here awhile, we have a long way yet to go and I can’t go without you.”
― Always Coming Home
― Always Coming Home
Vaibhav’s 2024 Year in Books
Take a look at Vaibhav’s Year in Books, including some fun facts about their reading.
More friends…
Favorite Genres
Polls voted on by Vaibhav
Lists liked by Vaibhav

























