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Harishankar Parsai
“मेरी सुलझी हुई दृष्टि का यही रहस्य है। दूसरो को सुख का रास्ता बताने के लिए में प्रश्न और उत्तर बता देता हूं।

तुम किस देश के निवासी हो?
भारत के।
तुम किस जाति के हो?
आर्य।
विश्व में सबसे प्राचीन जाति कौन?
आर्य।
और सबसे श्रेष्ठ?
आर्य।
क्या तुमने खून की परीक्षा कराइ है?
हां, उसमे सौ प्रतिशत आर्य सेल है।
देवता भगवान को क्या प्रार्थना करते है?
की हमे पुण्यभूमि भारत में जन्म दो।
बाकी भूमि कैसी है?
पापभूमि है।
देवता कही और जन्म नही लेते?
कतई नहीं। वे मुझे बताकर जन्म लेते है।
क्या देवताओ के पास राजनितिक नक्शा है?
हां, देवताओंके पास 'ऑक्सफर्ड वर्ल्ड एटलास' है।
क्या उन्हें पाकिस्तान बनने की खबर है?
उन्हें सब मालूम है। वे 'बाउंड्री कमीशन' की रेखा को मानते है।
ज्ञान विज्ञान किसके पास है?
सिर्फ आर्यो के पास।
यानी तुम्हारे पास?
नही हमारे पूर्वज आर्यो के पास।
उसके बाहर कही ज्ञान विज्ञान नही है?
कहीँ नहीँ।
इन हजारो सालो में मनुष्य जाति ने कोई उपलब्धि की?
कोई नहीँ। सारी उपलब्धि हमारे यहाँ हो चुकी थी।
क्या अब हमे कुछ शीखने की जरूरत है?
कतई नहीँ। हमारे पूर्वज तो विश्व के गुरू थे।
संसार में महान कौन?
हम, हम, हम।
मेरा ह्रदय गदगद होने लगा। अश्रुपात होने लगा। मैंने आँखे बंद कर ली। मुख से”
Harishankar Parsai, निठल्ले की डायरी

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