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“वह हँसी मात्र एक प्रेयसी की हँसी नहीं थी। वह एक मानिनी की भी हँसी थी। अपने सौन्दर्य के बल पर पुरुष को भी चरणों में झुका सकने के अहंकार में मदहोश रमणी की हँसी थी वह”
― ययाति [Yayati]
― ययाति [Yayati]
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