Ramdhari Singh 'Dinkar' > Quotes > Quote > Pranu liked it
“जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। हरि ने भीषण हुङ्कार किया, अपना स्वरूप-विस्तार किया, डगमग-डगमग दिग्गज डोले, भगवान् कुपित होकर बोले- “ज़ंजीर बढ़ा कर साध मुझे, हाँ-हाँ, दुर्योधन! बाँध मुझे। “यह देख, गगन मुझमें लय है, यह देख, पवन मुझमें लय है, मुझमें विलीन झङ्कार सकल, मुझमें लय है संसार सकल। अमरत्व फूलता है मुझमें, संहार झूलता है मुझमें।”
― रश्मिरथी
― रश्मिरथी
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