Ramdhari Singh 'Dinkar' > Quotes > Quote > Shakti liked it
“कहा कर्ण ने, “वृथा भाग्य से आप डरे जाते हैं, जो है सम्मुख खड़ा, उसे पहचान नहीं पाते हैं। विधि ने था क्या लिखा भाग्य में, खूब जानता हूँ मैं, बाँहों को, पर, कहीं भाग्य से बली मानता हूँ मैं।”
― रश्मिरथी
― रश्मिरथी
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