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“कालिदास:मैंने कहा था कि मैं अथ से आरम्भ करना चाहता हूँ। यह सम्भवतः इच्छा का समय के साथ द्वन्द्व था। परन्तु देख रहा हूँ कि समय अधिक शक्तिशाली है क्योंकि..।”
― आषाढ़ का एक दिन
― आषाढ़ का एक दिन
“अम्बिका:सम्मान प्राप्त होने पर सम्मान के प्रति प्रकट की गयी उदासीनता व्यक्ति के महत्त्व को बढ़ा देती है। तुम्हें प्रसन्न होना चाहिए कि तुम्हारा भागिनेय लोकनीति में निष्णात है।”
― आषाढ़ का एक दिन
― आषाढ़ का एक दिन
“कोरे कहाँ हैं मल्लिका? इन पर एक महाकाव्य की रचना हो चुकी है...अनन्त सर्गों के एक महाकाव्य की।”
― आषाढ़ का एक दिन
― आषाढ़ का एक दिन
“किसी सम्बन्ध से बचने के लिए अभाव जितना बड़ा कारण होता है, अभाव की पूर्ति उससे बड़ा कारण बन जाती है।”
― आषाढ़ का एक दिन
― आषाढ़ का एक दिन
“जैसे चाँद की किरणों में कलंक; परन्तु दारिद्रय नहीं छिपता। सौ-सौ गुणों में भी नहीं छिपता। नहीं, छिपता ही नहीं, सौ-सौ गुणों को छा लेता है—एक-एक करके नष्ट कर देता है।”
― आषाढ़ का एक दिन
― आषाढ़ का एक दिन
“तभी मुझे अनुभव हुआ कि वह क्या है जो भावना को कविता का रूप देता है। मैं जीवन में पहली बार समझ पायी कि क्यों कोई पर्वत-शिखरों को सहलाती मेघ-मालाओं में खो जाता है, क्यों किसी को अपने तन-मन की अपेक्षा आकाश में बनते-मिटते चित्रों का इतना मोह हो रहता है।...”
― आषाढ़ का एक दिन
― आषाढ़ का एक दिन
“मैं महज़ एक Introvert था जो कि स्थितियों को किसी न किसी तरह बदलने के फेरबदल में लगा रहता था.”
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“मल्लिका:व्यक्ति उन्नति करता है, तो उसके नाम के साथ कई तरह के अपवाद जुड़ने लगते हैं।”
― आषाढ़ का एक दिन
― आषाढ़ का एक दिन




