Giriraj Kishore
Born
in Muzaffarnager, Uttar Pradesh, India
July 08, 1937
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ढाई घर
4 editions
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published
1990
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पहला गिरमिटिया
8 editions
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published
2010
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Kasturba Gandhi: A Bio-fiction
by
4 editions
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published
2018
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சதுரங்கக் குதிரைகள்
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स्वर्णमृग
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गाँधी को फाँसी दो
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दुश्मन और दुश्मन
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जुगलबन्दी
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The Girmitiya Saga
by |
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Aanjaney Jayte
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“भाग्य ऐसा वृक्ष है कि जिसकी छाल भी काम आती है और पत्ते भी। छाया तो आती ही है। चाहे जितना क्लान्त हो छाया तो मिलेगी ही।”
― ढाई घर
― ढाई घर
“किसी का कोई दोष नहीं। मैं अपने बाँधे बन्धन को नहीं तोड़ पाया और न वक़्त के साथ ही बदल सका। जिनकी लचक खत्म हो जाती है वे टूट जाते हैं। हर नयी पीढ़ी पुरानी पीढ़ी से ज़्यादा आज़ाद और आगे होती है। हम ही उसे घसीटने की कोशिश करते हैं। वह तो पीछे की तरफ़ नहीं झुक पाती, हम ही उसे घसीटते-घसीटते खुद गिर पड़ते हैं तब कोई उठाने वाला नहीं मिलता—! उस”
― ढाई घर
― ढाई घर
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