16/04/2020
बीन कर रखे हैं मैंने ख़्वाब सारे सींचे थे संग कभी जो आँखों ने हमारे दरम्यां जो भी हैं मंज़ूर हो गये फ़ासले, लेकिन उधड़ी दास्तानों को जाने से पहले (तू) सिलता जा एक बार को याद आने से पहले (तू)... मिलता जा
उँगलियों में अटकी खुश्बू तेरे बालों की काँधे पर तिल की छाप तेरे गालों की लाज़मी दिल की बात, छोड़ जा हर वो मुलाक़ात तोड़ किस्से पुराने, नये मोड़ पर फूल सा खिलता जा एक बार को याद आने से पहले (तू)... मिलता जा
(क्रमशः)
---© विकास प्रताप सिंह 'हितैषी'
Published on April 16, 2020 07:58