जाड़ों जैसी, तेरी याद..

सर्दियों कि धुंधली सुबह सी तेरी याद नम करती आँखें कुछ वैसे ही कंपकंपाते होंठ और थरथराता जिस्म वैसे ही जैसे,जाड़े कि सुबहों में  तुम भीगे हाथ लगते थे और हँसते थे मेरे रूस जाने पर 
और सर्द रातों सी ये तेरी याद सुनसान रातों में किटकिटाते दांतों सी,खुद ही को देती सुनाई गर्म साँसों को फूँकती और हथेली को करती गर्म घिसती और टांगों के बीच छुपाती ठंडी सी नाक और खुश्क लब और उनमे बसी,जाड़ों जैसी, तेरी  याद..
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Published on November 09, 2020 10:01
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