टपरी पर उनकी सिगरेट..

बड़े अरसे बाद वो मिल गए उसी चौराहे परटपरी के कोने में सिगरेट जलाए होते थेनिकलेंगे अभी हम बस इसी रास्ते सेउन चाय के न जाने कितने बकाए होते थेहर रोज़ फेंक देते थे वो अध बुझी सी बातेंकोई देख लेगा तो क्या होऔर हर रोज़ फिर जला लेते थे ख़ुद-बुनी यादेंके एक रोज़ कह ही दे तो क्या हो
बड़े अरसे बाद वह मिल गए उसी कुर्ते मेंहोली के दाग छुड़ाए होते थेलटकती थी एक जेब उनकी माचिस सेना जाने कैसे ऐब लगाए होते थे
बड़े अरसे बाद वो मिल गए उसी चौराहे परटपरी के कोने में, सिगरेट जलाए होते थे..
Never liked him smoking, never liked that he couldn't come and say "I like you".. 
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Published on January 14, 2021 08:38
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