एक घर जो कभी छोटा न पड़ता था...

 

देवबंद में नाना-नानी का दो मंजिला मकान काफी जगह में फैला था। बचपन में गर्मियों की छुट्टियों में इतने cousins और रिश्तेदार आ जाते थे, लेकिन जाने कैसे उस घर में सबके लिए भरपूर जगह निकल ही आती थी। जैसे उस घर में कोई जादू हो कि वो कभी छोटा नहीं पड़ता। पहले के बड़े मकान या हवेलियाँ इतनी खुली जगह में बनती थीं कि आजकल के architects भी सोच में पड़ जाएँ कि इतनी जगह क्यों waste कर दी।

घर के बाहर का रंग भी अलग ही था। शायद गुलाबी करवाया था, जो धूप पड़ते-पड़ते नारंगी और गुलाबी का एक अनोखा मेल बन गया था। हर क...

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Published on August 02, 2025 01:04
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