सोसायटी का लोकतंत्र और कुत्ता राजनीति : एक हास्य कथा

सोसायटी अध्यक्ष एक रिटायर्ड अफ़सर थे और जीवन के खाली दिनों में लेखक बन चुके थे। उन्होंने सोसायटी कमेटी ग्रुप में एक डिजिटल सूचना लिखी थी, जिसका मजमून कुछ यूं था,

“आप सभी मेम्बरान को सूचित किया जा रहा है कि आपकी सोसायटी कुत्तों को घुमाने के निश्चित समय तय करने पर विचार कर रही है। ताकि पिछले कुछ दिनों के भीतर बच्चे औऱ बुजुर्गों के साथ हुई तमाम दुर्घटनाओं से बचा जा सके।

जैसा कि आप जानते हैं कि हमारा देश एक लोकतांत्रिक देश है। चुनाव हमारी परंपरा है। बात-बात पर चुनाव न हो तो लोक और तंत्र दोनों का पाचन तंत्र खराब हो जाता है, जिसको ठीक करने की एक ही चूर्ण है, चुनाव। इसलिए हमने इस कुत्ता घुमक्कड़ी प्रस्ताव पर चुनाव कराने का फैसला किया है। रविवार, दिन ग्यारह बजे सोसायटी हॉल में आपकी मौजूदगी ज़रूरी है। बुजुर्ग मेम्बरान से निवेदन है कि ताश खेलने, सोशल मीडिया पर सरकार गिराने और अपने बहू-बेटों की एक दूसरे से शिकायत करने में रोज की तरह वक्त जाया न करें। वोटर लिस्ट में अपना नाम चेक करके वोटिंग में मौजूद रहे।”

आपका अध्यक्ष फलाना

इस सूचना के ग्रुप में आते ही हड़कंप मच गया। बुज़ुर्ग काफ़ी अपमानित महसूस कर रहे थे। सोसायटी के माई गेट एप के अनुसार सोसायटी में तीन सौ से ज्यादा कुत्ते थे और कुत्ते प्रेमियों की जनगणना करने के लिए अभी एप विकसित नहीं हो सका था..लेकिन सूत्रों के अनुसार कई दर्जन नवयुवक और उनकी नवयुवतियों के तन-बदन में भी आग लग चुकी थी। 

फलस्वरूप रविवार के दिन देखते ही देखते सोसायटी ऑफिस के सामने कुत्ते और कुत्ते प्रेमियों का एक सैलाब उतर आया। वोटिंग के बीच ही अध्यक्ष के खिलाफ नारेबाजी होने लगी।  किसी ने बताया कि अध्यक्ष एक फेमिनिस्ट है, बिल्ली पालता है, जैसे बिल्लियां मतलबी होती हैं, वैसे ही अध्यक्ष भी मतलबी है, इसको बच्चों और बुजुर्गों की कोई चिंता नहीं, इसे बस बात-बात पर वोटिंग करवानी है और अंत में अध्यक्षीय भाषण देकर अपनी वो कविता ठूसनी है, जिस पर कोई कुत्ता भी लाइक-कमेंट नहीं करता।

देखते ही देखते सोसायटी का गेट जंतर-मंतर बन गया।  दो-चार मेम्बरान, जो किताबों की गलत संगत औऱ सोशल मीडिया की सोहबत में आकर बुद्धिजीवी बन चुके थे..उनके नथुने फड़फड़ा रहे थे..आंखें आग फेंक रही थी। 

तभी हाथों में कुत्ते का पट्टा और चढ़ती सांस के साथ वरिष्ठ मेंबर लल्लू सिंह जी ने वोटिंग की लाइन में प्रवेश किया। लल्लू जी का देसी कुत्ता देखकर सभी उच्च नस्ल वाले कुत्ते सर्वसम्मति से भौंकने लगे…सोसायटी के एक मेंबर जीतन प्रसाद जी ने कहा, पीछे हटिये, आपका देशी कुत्ता देखकर सोसायटी के सारे कुत्ते भड़क रहे हैं। लल्लू जी इस बेइज्जती पर ख़फ़ा होते उससे पहले ही उनका देशी कुत्ता ख़फ़ा हो बैठा और लगा भौंकने..

कुत्तों के बीच सवाल-जबाब का एक पूरा कार्यक्रम शुरू हो गया। देशी कुत्ता सैकड़ों कुत्तों की खबर लेने लगा। वोटिंग हॉल में हड़कम्प मच गया। कुछ मीडिया के लोग वोट देने आए लोगों से इंटरव्यू लेने लगे।

एक पत्रकार जो अपने चैनल पर व्यूज न मिलने से परेशान होकर इस वोटिंग को कवर करने आया था, उसने पूछा, लल्लू जी आप इस कुकुरहांव में कैसा महसूस कर रहे है ?  फैसले के पक्ष में वोट देने जा रहे हैं या विपक्ष में ? 

लल्लू जी कुछ कहते इससे पहले ही जीतन जी का कुत्ता पत्रकार की तरफ झपट पड़ा…पत्रकार ने जान हथेली पर रखी और माइक सर पर…जीतन जी हंसे और कहे, “डरो मत, इसकी मम्मी तुम्हारे चैनल हेड के घर पैदा हुई थी। तुम इसके ननिहाल साइड के हो…इसके मामा लगोगे। मेरा इंटरव्यू नही ले रहे हो, इसलिए नाराज हो गया है। इतना सुनते ही पत्रकार की हिम्मत न हुई, वो दुम दबाकर गायब हो गया।

इधर वोटिंग चलती रही। तब तक तमतमाते हुए जीतन जी बाहर आए, “आखिर मेरा नाम वोटर लिस्ट से क्यों काटा गया है, किसकी हिम्मत हुई ?  कमेटी की सालाना बैठक में पीने का प्रबंध मैं करता हूँ। हर मेंबर और उसके कुत्ते का जन्मदिन मैं मनाता हूँ। स्टेटस तक लगाता हूँ और मेरा ही नाम नहीं। ये लल्लन जी की राजनीति है जी है या अध्य्क्ष जी की ?”

राजनीति शब्द सुनते ही अध्यक्ष जी बाहर लौट आए…चेहरे पर उनकी मृदु मुस्कान थी। उन्होंने कहा, प्राप्त जानकारी के अनुसार आपका कुत्ता भले विदेशी है लेकिन है एक नम्बर का आवारा… हम चाहते हैं कि अगले हफ्ते फिर वोटिंग हो, जिसमें ये तय किया जाए कि किसका कुत्ता ज़्यादा आवारा है। हम आवारा किस्म के लोगो पर पहले शिंकजा कसना चाहतें हैं, इतना सुनते ही सारे कुत्ते भौंकने लगे, अध्यक्ष जी ने अपनी नई कविता पढ़ने के लिए पर्ची निकाल दी औ समस्त कुत्तों ने अपनी जीभ।

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Published on August 29, 2025 01:36
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EPICREADSINDIAA waah kucch din pahle hamne ek gadhe ki aatmakatha padhi thi aur aaj ek kutte ki....


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