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Hindi
“
माँ तो माँ है..
**
दूर हो तुम.. जो घर से अपने..
तो सोचते होगे.. ऑफिस में बैठे..
माँ कैसी होगी? माँ कैसी होगी?
घर पे है, तो ठीक ही होगी।
काम में डूबे, तुम सोचते होगे..
माँ जागती होगी.. या सोती होगी।
माँ तो माँ है..
जाग ही रही है.. सोई नहीं..
शायद रोती होगी।
सोचती होगी तुम आओगे..
ढूंढती होगी कौनसी राह से..
तुम दूर हो ना.. समझोगे कैसे।
डरती है वो..
खाली घर के कोने से..
झूले के खाली होने से..
मौसम के बदलने से..
तुम्हारे घर से चलने से।
पूछती है फिर कब आओगे.. बता देना..
साँसें थोड़ी हैं.. हक अपना जता
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”
― Guru with Guitar
― Guru with Guitar
“
विजय जितनी बड़ी उतनी बड़ी थकान
”
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![गोदान [Godaan]](https://i.gr-assets.com/images/S/compressed.photo.goodreads.com/books/1205467570l/694226.jpg)














































