Bishnu Priya
Bishnu Priya asked Laxman Rao:

Sir, you have written about Ramdas. When are you going to write about Ranjana? We, readers, are eagerly waiting for this one also.

Laxman Rao ‘रंजना’ - रामदास उपन्यास की महिला प्रधान पात्र है. इस उपन्यास को पढ़कर रंजना के चरित्र के विषय में यह समझ में आता है कि कन्या का महत्व क्या है. उपन्यास में रंजना का जो चरित्र दर्शाया गया है वह वस्तुस्तिथि है, यथार्थ है. हमारे समाज में रंजना जैसी बहुत सी लड़कियां हैं.

रंजना नाम की इस ग्रामीण छात्रा में एक अद्भुत आकर्षण था. हिरणी की तरह ज्वलंत और सजग आँखें, कमल पुष्प सा गोलाकार, शुभ्र सुन्दर मुखाकृति और नवजात कोंपल जैसी लालिमापूर्ण उसकी त्वचा, यह था उसका बाह्य रूप और स्वभाव भी सागर जैसा गंभीर था. छोटी सी उम्र में भी उसमें संस्कारों की अपार गंभीरता थी.

उसके मन में अंग्रेज़ी भाषा सीखने की जिज्ञासा थी. क्योंकि वह जब अपने परिवार के साथ शहरों में किसी विवाह प्रसंग में जाती थी तो वहां अपनी उम्र के लड़के-लड़कियों को अंग्रेज़ी में बात करते हुए देखती थी. रंजना को लगा कि मैं यदि सीखने का प्रयास करूं तो मैं भी फर्राटेदार अंग्रेज़ी बोल सकती हूं.

इसलिए रंजना ने अध्यापक से अंग्रेज़ी विषय के ट्यूशन लेने आरम्भ किये. अध्यापक पहले से ही रामदास को ट्यूशन पढ़ा रहे थे. सेठ जी को जब यह पता लगा कि अध्यापक रामदास को पढ़ाने के पश्चात रंजना को पढ़ाने आते हैं तो उन्होंने अपने ही घर में रंजना और रामदास को एक साथ पढ़ाने के लिए एक कमरे की व्यवस्था कर दी जिससे अध्यापक जी का समय भी बच सके.

साथ में ट्यूशन पढ़ने से रंजना भी रामदास के अध्ययन और उसके व्यक्तित्व विकास में सहायता करने लगी थी और इस कारण दोनों एक-दूसरे के करीब आने लगे और फिर एक- दूसरे से प्रेम करने लगे.

रामदास के सुधरने में रंजना का भी योगदान था और रामदास रंजना की हर बात मानता था. प्रेम में युवतियां तब ही प्रभावित होती हैं जब प्रेमी उसका कहना मानता है और उससे झूठ नहीं बोलता. यह बातें रामदास में साफ़-साफ़ दिखाई दे रही थीं.

- साहित्यकार लक्ष्मण राव

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