“उर्दू कवियों की सबसे बड़ी विशेषता उनका मातृभूमि प्रेम है। इसीलिए मुंबई और कोलकाता में भी वे अपने गांव या कस्बे का नाम अपने नाम के पीछे बांधे रहते हैं और उसे खटखटा नहीं समझते। अपने को गोंडवी, सलोनवी और अमरोहवी कह कर वे कोलकाता मुंबई के कूप मंडूक लोगों को इशारे से समझाते हैं कि सारी दुनिया तुम्हारे शहर तक ही सीमित नहीं है। जहां मुंबई है वहां गोंडा भी है।”
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Shrilal Shukla,
राग दरबारी